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Jharkhand: मारे गए नक्सली की पहचान पर फंसा पेंच, सुरक्षाबलों ने बताया 5 लाख का इनामी बालक गंझू तो ग्रामीण बोले- ये दिनेश नगेशिया है

Jhanrkhand News: लोहरदगा लातेहार के सीमावर्ती बुलबुल जंगल में सुरक्षाबलों का नक्सलियों के खिलाफ अभियान 10 दिनों से जारी है. अब तक अभियान में कोबरा बटालियन के 3 जवान घायल हुए हैं. सुरक्षाबलों की मजबूत घेराबंदी से भागने के चक्कर में एक नक्सली मारा गया.

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 लोहरदगा लातेहार के सीमावर्ती बुलबुल जंगल में सुरक्षाबलों का नक्सलियों के खिलाफ अभियान.
लोहरदगा लातेहार के सीमावर्ती बुलबुल जंगल में सुरक्षाबलों का नक्सलियों के खिलाफ अभियान.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुरक्षाबलों की मजबूत घेराबंदी से भागने के चक्कर में मारा गया नक्सली
  • सुरक्षाबलों ने बताया 5 लाख का इनामी बालक गंझू
  • ग्रामीणों ने दावा किया कि यह दिनेश नगेशिया है

झारखंड के लोहरदगा लातेहार के सीमावर्ती जंगलों में मारे गए नक्सली की पहचान पर पेंच फंस गया है. सुरक्षाबलों की तरफ से जारी तस्वीरों में नक्सली की पहचान 5 लाख के इनामी बालक गंझू के तौर पर की गई है. जबकि ग्रामीणों का दावा है कि मारा गया नक्सली बालक गंझू नहीं बल्कि एक लाख का इनामी दिनेश नगेशिया है. 

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लोहरदगा के पेशरार प्रखंड स्थित बोंडोबार गांव के मोहन असुर, सुरेश नगेशिया आदि ग्रामीणों ने दावा किया कि मृतक उनके गांव का है. वह तीन भाइयों में सबसे बड़ा था. बताया गया कि मृतक नक्सली ने दिनेश बिशुनपुर प्रखंड के जोभीपाट आवासीय स्कूल से मैट्रिक और बीएस कॉलेज लोहरदगा से इंटर की पढ़ाई की थी.

गोपनीयता की शर्त पर कुछ पुलिस अधिकारियों ने भी बताया कि दिनेश नगेसिया के परिवार की ओर से भी शव पर दावा किया गया है. 16 फरवरी को मारे गए नक्सली का शव पोस्टमॉर्टम के लिए 17 फरवरी की देर रात तक लोहरदगा सदर अस्पताल नहीं पहुंचा था. डीएसपी और इंस्पेक्टर स्तर के पुलिस अधिकारी कई बार पोस्टमॉर्टम की तैयारियों का जायजा लेने अस्पताल पहुंचे थे. इस बीच सुरक्षा बलों का अभियान दसवें दिन भी जारी है.

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पांच लाख का इनामी बालक गंझू और जंगल में जारी सर्च ऑपरेशन.

बता दें कि सीआरपीएफ और झारखंड पुलिस के जवान 9 फरवरी को लोहरदगा के बुलबुल जंगल में माओवादियों के खिलाफ अभियान के लिए दाखिल हुए थे. सर्च ऑपरेशन के दौरान 11 फरवरी को अहले सुबह लैंडमाइन ब्लास्ट में सीआरपीएफ कोबरा 203 बटालियन के 2 जवान दिलीप कुमार और नारायण दास गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे. 12 फरवरी को भी कोबरा बटालियन का एक जवान लैंडमाइन ब्लास्ट में जख्मी हुआ था.

खासकर केंद्रीय सुरक्षा बलों ने इस बार नक्सलियों के खिलाफ मुहिम के पुख्ता तैयारी कर रखी है. पहली बार ऐसा हुआ कि ग्राउंड जीरो के पास हेलीपैड बनाया गया. घायल जवानों को तुरंत एयरलिफ्ट कर रांची इलाज के लिए ले जाया गया.

नक्सलियों के गुफानुमा ठिकाने से बरामद रसद.

तीन जवानों के घायल होने के बाद सुरक्षाबलों ने पूरी आक्रामकता के साथ अभियान आगे बढ़ाया. एक के बाद एक माओवादियों के करीब दर्जन भर बंकर, जहां उन्होंने अपना रसद जरूरी सामान छिपाकर रखा था और जिस से वह अपने ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करते थे, उसे सुरक्षाबलों ने धमाके से उड़ा दिया. माओवादियों ने पहाड़ की गुफाओं के भीतर की जगह को कमरे जैसा बनाकर, दरवाजा लगाकर बंकर बनाया हुआ था, यहां से काफी मात्रा में चावल और जरूरी चीजें मिली हैं.

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पहाड़ों में नक्सलियों के गुफानुमा ठिकाने.

अभियान में लगातार सुरक्षाबलों की संख्या बढ़ने और लातेहार के जंगल की तरफ से भी घेराबंदी शुरू होने से माओवादी दस्ता भागने में कामयाब नहीं हो पाया. भागने की कोशिश में 16 फरवरी को एक नक्सली मारा गया, जिसकी पहचान सुरक्षाबलों द्वारा बालक गंझू बताई गई. मगर अब ग्रामीण इसके दिनेश नगेशिया होने का दावा कर रहे हैं.

पुष्ट सूत्रों के अनुसार, इलाके का शीर्ष माओवादी और 20 लाख का इनामी जोनल कमांडर रविंद्र गंझू बुलबुल के जंगल में सुरक्षाबलों ने घेर लिया है. इसके साथ दस्ते के बाकी करीब 20-25 नक्सलियों के अलावा उसकी पत्नी और बच्चे भी हैं.

एक नक्सली के मारे जाने के बाद माओवादी सुरक्षाबलों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए लैंडमाइन भी बिछाने में लगे हुए हैं. हालांकि, सुरक्षाबल कोई भी ढील नहीं दे रहे और जंगल में डेरा डाले हैं. हाल के सालों में इस तरह का व्यापक अभियान कभी नहीं हुआ.  इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि अभियान चलता रहा तो कुछ और नक्सली मारे जा सकते हैं या सरेंडर कर सकते हैं.

सुरक्षाबलों को लगातार एयर सपोर्ट भी मिल रहा है. बीएसएफ और वायुसेना के हेलीकॉप्टर इस्तेमाल किए जा रहे हैं. इनके जरिए आला अधिकारी बुलबुल के जंगलों में सुरक्षाबलों तक पहुंच रहे हैं. उन्हें दिशा निर्देश दे रहे हैं. साथ ही ऑपरेशन में लगे सुरक्षाबलों तक जरूरी सामान और हथियार भी पहुंचाए जा रहे हैं.

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