35 साल बाद एक बार फिर झारखंड का जमशेदपुर सांप्रदायिक तनाव से जूझ रहा है. पिछले चार दिन से शहर के कई इलाके निषेध आज्ञा के अधीन हैं. हालात सुधरने की उम्मीद है लेकिन घटना की शुरुआत कैसे हुई, इस पर रहस्य बरकरार है.
जमशेदपुर में सांप्रदायिक बवाल कैसे शुरू हुआ, इस बारे में कई अफवाहें हैं . अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपी खबर के मुताबिक, कुछ का कहना है कि ईद के अगले दिन मुस्लिम होस्टल के सामने एक हिंदू लड़की से छेड़छाड़ की गई. लेकिन इस बारे में कोई मामला दर्ज नहीं कराया गया.
20-21 जुलाई की रात शुरू हुई झड़प
सभी 6 एफआईआर स्थानीय मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारियों ने दर्ज कराईं. हिंसाग्रस्त मैंगो इलाके में तैनात डीएसपी-रैंक के एक अधिकारी ने कहा, 'इस चर्चा (अफवाह) की सच्चाई अभी साबित नहीं हुई है.' मैंगो इलाके में ही 20-21 जुलाई की रात को झड़प शुरू हुई थी.
इलाके में गल्फ गेस्ट हाउस मुस्लिम छात्रों का होस्टल है और यहां से मुश्किल से 20 मीटर की दूरी पर संकट मोचन मंदिर है. इसी इलाके से यह अफवाह फैलनी शुरू हुई. अधिकारी ने बताया, 'हमने 20 तारीख की रात से ही सुरक्षा बलों को जुटाना शुरू कर दिया था.'
फिर मंदिर लुटने की अफवाह ने पकड़ा जोर
अफवाह फैलने के साथ तनाव बढ़ता गया. फिर एक अफवाह और फैली कि संकट मोचन मंदिर को लूट लिया गया है. लेकिन 21 जुलाई की सुबह दोनों समुदायों के बीच झड़पें तेज हो गईं. विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने इलाके में जुलूस निकाला. इसके बाद दुकानें और वाहन जलाने की घटनाओं में तेजी आई. पैरामिलिट्री फोर्स को आनन-फानन में बुलाया गया और स्कूल, बैंक और दफ्तर बंद कर दिए गए. इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया जिससे जान-माल की रक्षा में कामयाबी मिली.
संघर्ष में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. अब तक एहतियातन 133 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें कई वीएचपी नेता शामिल हैं.