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झारखंड के धनबाद से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जिले के सिंदरी स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन से निराश होकर देश के प्रधानमंत्री से मदद मांगी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पत्र भेजकर प्रिंसिपल ने स्कूल में पढ़ने वाले 1600 छात्रों का भविष्य बचाने की गुहार लगाई है.
डीएवी स्कूल के प्रिंसिपल आशुतोष सिंह ने पत्र में पीएम मोदी को इस बात से अवगत कराया कि आसपास के 40 गांवों से स्कूल में आने वाले बच्चों की पढ़ाई में रुकावट पैदा की जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया है कि जब चाहे तब असामाजिक तत्व, अतिक्रमणकारी और स्थानीय गुंडे स्कूल के कैंपस में घुस आते हैं.
प्रिंसिपल ने स्थानीय प्रशासन, सांसद और विधायकों से गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. ऐसा लगता है कि उनकी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है और उन्होंने स्कूल के मुद्दे पर आंखें मूंद ली हैं.
शिकायती पत्र में प्रिंसिपल ने लिखा कि बिना अनुमति के स्कूल के मैदान का इस्तेमाल हमेशा राजनीतिक और सामाजिक सभाओं के लिए किया जाता है. गतिविधियां काफी समय से चल रही हैं. कई बार अनुरोध के बावजूद प्रशासन ने स्कूल की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया.
मौजूदा हालात ऐसे हैं कि छात्रों को मुफ्त हवा और सूरज की रोशनी तक पहुंच नहीं है. अपने घर से आने के बाद बच्चों को स्कूल भवन के अंदर ही कैद रहना पड़ता है. सभा और प्रार्थनाएं कक्षा के अंदर आयोजित की जाती हैं. साप्ताहिक सभा बरामदे के अंदर बुलाई जाती है. छात्र सड़क पर जाकर अपनी बसों में चढ़ते और उतरते हैं, क्योंकि खेल के मैदान में होने वाले कार्यक्रमों के कारण बस का स्कूल भवन के पास आना मुश्किल हो जाता है.
प्रिंसिपल ने कहा कि वह खेल के मैदान को खाली करवाने के लिए दर-दर भटकते रहे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, एफसीआईएल के बंद होने से पहले 1999 में सिंदरी टाउनशिप में डीएवी स्कूल की स्थापना की गई थी. जिस भूमि पर विद्यालय भवन स्थापित किया गया था वह भूमि पट्टे पर प्राप्त की गई थी.
प्रशासन को किराया नियमित रूप से भुगतान किया जाता है. सीओ ने स्कूल की बाउंड्री की भी अनुशंसा की थी, लेकिन इसे भी अनसुना कर दिया गया. राज्य सीडब्ल्यूसी और केंद्रीय सीडब्ल्यूसी ने भी कार्रवाई नहीं की. आशुतोष ने कहा कि उन्होंने पहले भी पीएम को पत्र लिखा था, लेकिन इसे सीएमओ, मुख्य सचिव और अन्य को यह कहते हुए भेज दिया गया कि शिक्षा राज्य का विषय है. एक बार फिर निराश होकर प्रिंसिपल ने पीएम मोदी को एक मदद के लिए पत्र भेजा है.