झारखंड में कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave) की तीव्रता और इसके मारक होने की मुख्य वजह नोबेल कोरोना वायरस के म्यूटेंट वैरिएंट डेल्टा (Mutant Variant Delta), कप्पा और अल्फा (Kappa and Alpha) थे. राज्य के पांच जिले पूर्वी सिंहभूम, रांची, धनबाद, हजारीबाग और पलामू से होल जीनोम सीक्वेंस (Whole Genome Sequencing) के लिए सैंपल ILS भुवनेश्वर भेजे गए. 364 सैंपल में से 328 सैंपल में वैरिएंट म्यूटेशन कंसेंट (Variant Mutation Consent) मिले हैं
21 अप्रैल से 9 जून 2021 तक राज्य के पांच जिले पूर्वी सिंहभूम, रांची, धनबाद, हजारीबाग और पलामू से 364 कोरोना संक्रमितों का सैंपल होल जीनोम सीक्वेंस (Whole Genome Sequence) के लिए भुवनेश्वर के ILS भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट चौंकाने वाली है. 364 सैंपल में से जहां 328 में SARS-COV-2 (नॉवेल कोरोना वायरस) खतरनाक म्यूटेंट वैरिएंट (Mutant Variant) मिले हैं.
जिसमें से 204 में डेल्टा वैरिएंट, 63 में कप्पा वैरिएंट, 29 में अल्फा वैरिएंट और अन्य सभी 49 सैंपल में म्यूटेंट वैरिएंट (Mutant Variant) मिला है. वहीं हजारीबाग से भेजे गए 48 सैंपल और पलामू से भेजे गए 30 सैंपल में म्यूटेंट का वैरिएंट मिला है. जबकि जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम) के 163 सैंपल में से 145 और रांची के 74 सैंपल में 56 सैंपल में म्यूटेंट वैरिएंट मिला है.
वैरिएंट किस मायने में ज्यादा खतरनाक
- डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant): तेजी से लोगों को संक्रमित करता है और रेसिस्टेंट अधिक होते हैं.
- कप्पा वैरिएंट (Kappa Variant): अन्य के मुकाबले ज्यादा तेजी से लोगों को संक्रमित करता है और तेजी से फैलता है.
- अल्फा वैरिएंट (Alpha Variant): सामान्य नॉवेल कोरोना वायरस की अपेक्षा तेजी से स्प्रेड होता है.
अप्रैल और मई महीने में कोरोना का घातक रूप
झारखंड में फिलहाल भले ही कोरोना कमांड में हो और राज्य में एक्टिव केस की संख्या महज 1596 हो, लेकिन अप्रैल और मई महीने में लोगों ने कोरोना की दूसरी लहर के घातक रूप को देखा है. इन 2 महीनों में ही दो लाख से ज्यादा लोग जहां कोरोना संक्रमित हो गए. वहीं 3900 के करीब लोगों को जान जवान गंवानी पड़ी.