झारखंड की गठबंधन सरकार के अपने साथी झामुमो की 28 माह के बाद मुख्यमंत्री बदलने की मांग पर अब तक चुप्पी साधे रहे राज्य के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने आगाह किया है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की इस मांग के चलते एक बार फिर राज्य राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ता दिख रहा है.
राजधानी रांची से लगभग पचास किलोमीटर दूर रामगढ़ में शनिवार को आयोजित भारतीय जनता पार्टी की हूंकार रैली में मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने सभी सहयोगी दलों को चेताया कि गठबंधन सरकार को अस्थिर करने का लाभ सदा से कांग्रेस ने उठाया है और उसने राज्य को बार-बार राष्ट्रपति शासन की ओर धकेला है. उन्होंने झामुमो और अन्य सहयोगी दलों को आगाह किया कि 28-28 माह के लिए राज्य में मुख्यमंत्री बदलने की बात करके झारखंड मुक्ति मोर्चा एक बार फिर से झारखंड को राष्ट्रपति शासन की ओर जाने को मजबूर कर रहा है.
उन्होंने याद दिलाया कि इसी प्रकार 2005 में भी शिबू सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार को नौ दिन बाद ही चलता कर दिया गया था और फिर बाद में एक निर्दलीय मधु कोड़ा के नेतृत्व में सरकार का गठन कर राज्य को लूटा गया था. इतना ही नहीं राज्य में कांग्रेस ने बार बार राष्ट्रपति शासन भी लगवाने की स्थितियां स्वयं बनवायीं.
मुंडा की शनिवार की रैली में दी गयी चेतावनी का इस बात से महत्व बढ़ जाता है कि हाल के दिनों में सहयोगी झामुमो के मुखिया शिबू सोरेन ने बार-बार बीजेपी को चेताया है कि जनवरी 2013 में गठबंधन सरकार के 28 माह पूरे हो रहे हैं और उसके बाद सत्ता की चाभी झामुमो के पास आनी चाहिए. मुंडा ने राज्य की जनता से राज्य में भाजपा को पूर्ण बहुमत देकर उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार बनवाने की अपील की और कहा कि इससे ही राज्य का विकास हो सकता है और राजनीतिक अस्थिरता का दौर समाप्त हो सकता है. उन्होंने कहा कि गुजरात में भाजपा को लगातार भारी बहुमत की सरकार बनाने का मौका देकर वहां की जनता ने जिस तरह अपने राज्य का विकास करवाया है, उसे झारखंड में भी क्यों नहीं दोहराया जा सकता है.
मुंडा और वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि राज्य की भाजपा सरकार किसी भी कीमत पर यहां भ्रष्टाचार नहीं बर्दाश्त करेगी.