झारखंड के देवघर में रविवार को जो भयानक रोप-वे हादसा हुआ था, उसमें फंसे लोगों को अब जाकर 46 घंटे बाद निकाला जा सका है. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में तीन लोगों की मौत भी गई. इसमें एक शख्स और एक महिला की तो रस्सी से फिसलने की वजह से मौत हो गई. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस हादसे के होने का इंतजार किया गया? क्या इस हादसे को रोका जा सकता था? वहीं वायुसेना ने बताया कि दो दिन चले इस ऑपरेशन में Mi-17V5 & ALH Mk III हेलिकॉप्टर्स की मदद ली गई थी. इस दौरान 26 घंटे में 28 बार उड़ान भरकर 10 केबल कार में फंसे 35 यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया.
उचित रखरखाव का अभाव, होगी जांच
झारखंड के पर्यटन मंत्री हाफिजुल हसन का मानना है कि हादसे के पीछे उचित रखरखाव का अभाव वजह हो सकती है. उन्होंने रोप-वे के ठीक से रखरखाव नहीं करने को लेकर एजेंसी को निशाने पर भी लिया है. यह भी कहा गया है कि हादसे की जांच होगी और कंपनी को ब्लैकलिस्ट भी किया जाएगा. वहीं राज्य आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए जाएंगे और इस हादसे के जो भी जिम्मेदार लोगों को बख्शे नहीं जाएंगे.
कंपनी का अनुबंध खत्म हो चुका था
रोप-वे को फिलहाल जो कंपनी चला रही थी, उसका कॉन्ट्रैक्ट साल 2019 में ही खत्म हो चुका था. खबरों के मुताबिक, झारखंड पर्यटन विभाग के निदेशक राहुल सिन्हा ने बताया है कि इस रोप-वे को दामोदर रोपवे और इंफ्रा लिमिटेड (Damodar Ropeways and Infra Ltd) नाम की कंपनी चला रही थी. इसके पास साल 2014 से 2019 तक का कॉन्ट्रैक्ट था. जब उनसे पूछा गया कि कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू क्यों नहीं हुआ था? इसपर उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से ऐसा नहीं हो पाया था. लेकिन रोप-वे चलाने का काम उनको ही दिया गया था.
हाई कोर्ट ने हादसे पर लिया स्वत: संज्ञान
देवघर रोप-वे की घटना पर झारखंड हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं. झारखंड हाई कोर्ट इस मामले में 26 अप्रैल को सुनवाई करेगी. इससे पहले राज्य को एक हलफनामे के जरिए विस्तृत जांच रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है.
एक्सल के उतरने से हुआ हादसा
झारखंड पर्यटन विभाग के निदेशक राहुल सिन्हा ने कहा कि रविवार को रोपवे का एक्सल उतर गया था, जिस वजह से रोप-वे बीच में ही रुक गई थी. रामनवमी पर यहां पूजा करने और घूमने के लिए सैकड़ों की संख्या में पर्यटक पहुंचे थे. रोपवे की एक ट्रॉली नीचे आ रही थी, जो ऊपर जा रही ट्रॉली से टकरा गई. रोपवे की तीन ट्रॉली के डिस्प्लेस होने और आपस में टकराने की वजह से ऊपर की ट्रॉलियां भी हिलने लगीं. इस वजह से वो भी पत्थरों में जाकर टकरा गए, जिस वजह से हादसा हुआ है. इधर घायलों को इलाज के लिए देवघर सदर अस्पताल भेज दिया गया है. बाकी लोगों को सुरक्षित निकालने का काम चल रहा है.
2009 में रोप-वे प्रॉजेक्ट पर उठे थे सवाल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2009 में गठित तकनीकी टीम ने रोपवे परियोजना पर सवाल उठाए थे. टीम ने जांच में पाया था कि ऊपरी हिस्से में खड़ी चढ़ाई है, जहां केबल कार में कंपन ज्यादा होता है. इससे ट्रॉली असंतुलित हो जाती है. रोपवे का तनाव भी 800 मीटर के दायरे की अधिकतम ऊंचाई पर सामान्य से अधिक हो जाता है. ऊपर जाने के बाद ट्रॉली कंपन करने लगती है, लेकिन इन सब बातों को नजर अंदाज कर दिया गया. टीम में बीआईटी मेसरा के यांत्रिक विभाग के विभागाध्यक्ष संजय कुमार शर्मा और दामोदर रोपवे कंपनी के लोग शामिल थे.
वित्त सचिव ने भी उठाए सवाल
वित्त सचिव राजबाला वर्मा ने इस हादसे पर सवाल उठाते हुए पर्यटन सचिव अरुण कुमार सिंह को पत्र भी लिखा. उन्होंने कहा कि पर्यटन स्थल के विकास की योजनाओं पर खर्च की गई राशि में भारी वित्तीय अनियमितता बरती गई है. इसकी जांच कराकर एसीबी में केस दर्ज करवाया जाए. इन योजनाओं में त्रिकूट रोपवे को भी शामिल किया गया था. इस मामले में 2010 में बब्लू कुमार नाम के शख्स ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जांच की मांग की थी.
(इनपुट: अमित)