धनबाद जिले का हरिहरपुर उप डाकघर आज भी बंगाल के पुराने मानभूम जिले की मुहर का उपयोग कर रहा है. हरियरपुर उप डाकघर की स्थापना वर्ष 1951 में हुई थी, जब ये पश्चिम बंगाल का ही हिस्सा हुआ करता था. जिले को अलग हुए 68 साल हो गए हैं. बावजूद इसके डाकघर में अब भी सभी कामों के लिए पुराने मुहरों का ही प्रयोग हो रहा है
तोपचांची प्रखंड के गोमो स्थित इस उप डाकघर के पोस्टमास्टर दयाल चंद साव ने बताया कि चिट्ठियों, पासबुक और तमाम आधिकारिक दस्तावेजों पर आज भी मानभूम अंकित मुहर का उपयोग किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि मुहर पर धनबाद का नाम होना जरूरी है, लेकिन अब भी मानभूम जिले की मुहर इस्तेमाल करनी पड़ रही है.
उप डाकघर की स्थापना वर्ष 1951 में हुई थी
इसके अलावा उन्होंने बताया कि मुहर बदलवाने के लिए कई बार वरीय अधिकारियों को लिखा गया है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस डाकघर की स्थापना 1951 में हुई थी और तब से मानभूम की मुहर की ही उपयोग होती आ रहा है.
वरिष्ठ डाक अधीक्षक उत्तम कुमार सिंह ने इस मामले पर कहा कि यह जानकारी पहली बार उनके संज्ञान में आई है. उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही हरिहरपुर पोस्ट ऑफिस की मुहर को ठीक कराया जाएगा. पूर्व में पोस्टमास्टर द्वारा दिए गए आवेदन पर उन्होंने कहा कि वह आवेदन उनके पास नहीं पहुंचा है.
1833 से 1956 तक धनबाद बंगाल का हिस्सा था
बता दें, साल 1833 से 1956 तक धनबाद बंगाल के मानभूम जिले का हिस्सा था. 24 अक्टूबर 1956 को इसे एक अलग जिला बनाया गया और बिहार में शामिल किया गया. बावजूद इसके, डाक विभाग में मानभूम की पुरानी पहचान आज भी मौजूद है.