गणतंत्र दिवस (Republic Day 2022) के मौके पर राजपथ पर इस साल भी झारखंड (Jharkhand) की झांकी नजर नहीं आएगी. केंद्र सरकार ने झारखंड की झांकी की थीम संथाल हुल को रिजेक्ट कर दिया है. केंद्र के इस कदम के बाद राज्य सरकार ने नाराजगी जाहिर की. राज्य मंत्री रामेश्वर ओरण ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण थीम है कि कैसे झारखंड के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया.
रामेश्वर ओरण ने कहा कि केंद्र के इस कदम के बाद देश के कई हिस्सों के लोग इसके बारे में जानने से वंचित रह जाएंगे. वहीं, इस मामले पर बीजेपी नेता कुणाल सारंगी ने कहा कि इस मुद्दे पर बेवजह की राजनीति ठीक नहीं है.
लगातार दूसरे साल नहीं दिखेगी झारखंड की झांकी
यह लगातार दूसरा साल है जब राजपथ पर झारखंड की झांकी लोगों को देखने को नहीं मिलेगी. पिछले साल कोरोना की वजह से झांकियां नहीं भेजी गई थी. इस साल झारखंड सरकार की ओर से संथाल हुल यानी संथाल आंदोलन थीम की झांकी की थीम भेजी गई थी. राज्य मंत्री का कहना है कि संथाल हुल की झांकी के जरिए देशभर के लोग सिद्धो कान्हो और फूलों झानो के बारे में जान पाते कि अंग्रेजों के खिलाफ कैसे उन्होंने कैसे आंदोलन किया था. जानकारी के लिए बता दें कि 1855 और बिरसा का उलगुलान राज्य में हुए दो प्रमुख आंदोलन हैं.
वहीं, इस मामले पर बीजेपी के प्रवक्ता कुणाल सारंगी का कहना है कि इसे बगैर मतलब के ही राजनीतिक रंग दिया जा रहा है जो उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि राजपथ पर दिखाने के लिए सिर्फ 21 थीम का ही सेलेक्शन किया जाना था, लेकिन प्रस्ताव कहीं ज्यादा आए थे. उन्होंने कहा कि सिलेक्शन और रिजेक्शन इसके लिए बनी हाई लेवल कमेटी करती है. जब 21 झांकियों का सिलेक्शन किया गया है तो लाजिमी है कि कई और राज्यों की थीम रिजेक्ट हुई थी.
पहले मिल चुकी है तारीख
जानकारी के लिए बता दें कि पहले झारखंड की झांकियों को तारीफ मिल चुकी है. 2015 में राज्य की ओर से मलूटी मंदिर जो टेराकोटा आर्ट से बनाया गया था, उसे 2015 में देशभर में दूसरा इनाम भी मिला था. तमिलनाडु और बंगाल ने तो इस मुद्दे पर विरोध तक जताया था.