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झारखंड: स्लम के बच्चे बोलेंगे फर्राटेदार अंग्रेजी, कॉलेज स्टूडेंट्स लगा रहीं क्लास

झारखंड में कॉलेज स्टूडेंट ने अपनी पढ़ाई के बाद स्लम बच्चों के लिये क्लास लगाना शुरू किया है. इस क्लास में बच्चों को अंग्रेजी बोलना सिखाया जा रहा है. इसके साथ ही बच्चों को गणित के साथ अन्य विषय भी पढ़ाये जा रहे हैं. 

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स्लम बच्चों की क्लास लगाती स्टूडेंट्स
स्लम बच्चों की क्लास लगाती स्टूडेंट्स
स्टोरी हाइलाइट्स
  •  अपनी पढ़ाई के बाद पढ़ा रहीं बच्चों को 
  • देवघर की छात्राओं ने शुरू की नेक पहल 

झारखंड की राजधानी रांची के देवघर की कॉलेज स्टूडेंट्स ने ये नेक पहल शुरू की है. अपने खाली वक्त में ये छात्राएं मलिन बस्तियों के बच्चों को पढ़ाने का काम कर रही हैं. इनमें से अधिकतर बच्चे वो हैं, जो सड़कों पर कचरा बीनकर अपने परिवार को चलाने में मां बाप की मदद करते हैं.

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छात्राओं ने इन बच्चों के माता पिता को उनकी पढ़ाई के लिये तैयार किया. इतना ही नहीं, इन छात्राओं द्वारा अपने खर्चे पर इन बच्चों के लिये कॉपी और किताबें भी खरीदी हैं. अभी तक स्कूल का नाम भी नहीं जानने वाले ये बच्चे अब मुश्किल अंग्रेजी शब्दों का उच्चारण भी आसानी से कर रहे हैं. 

देवघर की ये कॉलेज स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई के साथ इन बच्चों को खाली समय में पढ़ाती हैं. इन बच्चों की पढ़ाई का सिलसिला एक पेड़ के नीचे शुरू हुआ. पहले वहां सिर्फ दो बच्चे ही पहुंचे, लेकिन फिर इन बच्चों की संख्या 35 तक पहुंच गई.

कॉलेज स्टूडेंट्स इन बच्चों को कई तरह की खेलों की एक्टिविटी भी कराती हैं, जिससे उनका मन पढ़ाई में लगा रहे. यहां पढ़ने के लिये आने वाली बच्ची गौरी का कहना है कि वो कभी स्कूल नहीं गई, लेकिन दीदी टीचर्स से अंग्रेजी और मैथ्स सीखकर बहुत खुश है. 

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देवघर के बाजला महिला कॉलेज की बीएड स्टूडेंट नेहा पांडे ने बताया कि पहली बार रेलवे स्टेशन के पास कुछ बच्चों को कूड़ा बीनते हुए देखा था. उसी दौरान मन में भाव आया कि इन बच्चों के लिये कुछ किया जाए. नेहा ने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर इन बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया. नेहा पांडे के साथ उनके कॉलेज से ही बीए कर रहीं मोनिका कुमारी और कुछ अन्य छात्राएं भी इन बच्चों को शिक्षित कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रही हैं.

 

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