अभी बीते दिनों ही रांची के पिठोरिया इलाके में एक किसान के खुदकुशी का मामला गर्म ही था कि इस बीच वहीं के एक और किसान के खुदकुशी करने की बात सामने आई है. बताया जाता है कि यहां रहनेवाले 45 वर्षीय किसान बासुदेब महतो ने कर्ज के बोझ तले दबे रहने की वजह से कुंवे में कूद कर अपनी जान दे दी. फिलहाल पुलिस मामले की तहकीकात में जुटी है, लेकिन एक सप्ताह के भीतर दो किसानों के खुदकुशी करने की बात से सूबे की राजनीति काफी गर्म हो गई है.
पिठोरिया इलाके में एक हफ्ते के भीतर दूसरी खुदकुशी
रांची के पिठोरिया इलाके के सुतियाम्बे गांव में बासुदेब महतो के घर लोग जुटे हैं. यहां लोगों को यकीन ही नहीं हो रहा कि बासुदेब अब इस दुनिया में नहीं रहे. ऐसा बताया जाता है कि पेशे से किसान बासुदेब महतो ने खेती के लिए बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये 25 हजार रुपये कर्ज के तौर पर लिए थे. इसके अलावा गांव के साहूकारों से भी 20 हजार का कर्ज लिया था लेकिन फसल के बर्बादी की वजह से वह तनाव में था. बासुदेब की पत्नी के मुताबिक इसी तनाव की वजह से उन्होंने आत्म-हत्या का रास्ता चुना. वहीं मृतक के बड़े भाई का कहना है कि उसने भी कर्ज लेकर तीन बार खेती की लेकिन फसल तीनों बार बर्बाद हो गई. ऐसे में उन्हें भी आगे का रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है.
राजनीति भी हुई तेज
एक के बाद एक कर दो किसानों की आत्म-हत्या की खबर फैलते ही इस मुद्दे पर राजनीति भी तेज हो गई है. जहां विपक्षी दल सरकार पर सूबे में किसानों की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सरकार अचानक उभरी इस समस्या के समाधान के लिए हाथ पैर मार रही है. मौके पर पहुंची पुलिस फिलहाल मामले की तहकीकात में जुटी है. झारखण्ड की 70 फीसदी से अधिक आबादी आज भी खेती पर निर्भर है. वहीं पिठोरिया इलाका सब्जी की खेती के लिए काफी मशहूर है लेकिन नोटबंदी के बाद खरीददार नहीं मिलने की वजह से किसान अपनी फसलों को औने -पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो गए थे. वहीं कई इलाकों से टमाटर की फसल को सड़क पर फेंकने की बात भी सामने आई थी. ऐसे में सरकार को जल्द ही किसानो की समस्याओं पर ध्यान देने की जरुरत है.