चारा घोटाले के आरोप में घिरीं झारखंड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं. अब प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सरयू राय ने राजबाला के खिलाफ मुख्यमंत्री रघुवर दास को लंबा-चौड़ा पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है.
दरअसल, राजबाला वर्मा को चारा घोटाले के चाईबासा ट्रेजरी से अवैध निकासी के मामले में सीबीआई ने मिस कंडक्ट और लापरवाही का जिम्मेदार माना है. यह मामला 30 अप्रैल 1990 से 30 दिसंबर 1991 के बीच का है. राजबाला वर्मा उस वक्त चाईबासा की जिलाधिकारी थीं.
सीबीआई जांच में यह बात सामने आई थी कि उस दौरान राजबाला वर्मा ने न तो ट्रेजरी का निरीक्षण किया और ना ही हर महीने अकाउंट एजी को भेजें. 1998 में सीबीआई ने राज्य सरकार से इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की अनुशंसा की थी.
अब मामले में राज्य के मंत्री सरयू राय ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. इसमें कहा है कि कानून का उल्लंघन करने वाला समुचित दंड का भागी होता है. चाहे वह कितना भी शक्तिशाली और प्रभावशाली पद पर क्यों ना हो. सरकार इस मामले में कानून सम्मत कार्रवाई का आदेश दे.
सरयू राय ने यहां तक कहा कि राजबाला के मुख्य सचिव के पद पर होने के कारण सरकार की छवि पर भी असर पड़ रहा है. उन्होंने सवाल भी उठाया कि 30 रिमाइंडर भेजने के बाद भी राजबाला वर्मा ने सीबीआई को जवाब क्यों नहीं दिया.
बजट सत्र में विपक्ष को मिला बड़ा मुद्दा
इस मामले में अब विपक्ष ने भी कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने राजबाला वर्मा को तत्काल हटाने की मांग की है. हेमंत सोरेन ने कहा है कि हमें इंतजार है सुचिता और भ्रष्टाचार मामले में जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली भाजपा सरकार की कार्रवाई की.
झारखंड विकास मोर्चा के केंद्रीय महासचिव प्रदीप यादव ने भी राजबाला वर्मा पर विभागीय कार्रवाई की मांग की है. साथ ही मामले को लेकर उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और राज्यपाल से शिकायत करने की बात कही है.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ने भी सरकार से मामले में तत्काल कार्रवाई करने को कहा है. अजय ने कहा कि राजबाला वर्मा पर लंबे समय से कई आरोप लग रहे हैं, उनके खिलाफ शिकायतें हो रही हैं पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. विपक्ष आने वाले बजट सत्र में सरकार को इस मुद्दे पर घेरेगा.
क्या है मामला?
दरअसल, सीबीआई ने राजबाला वर्मा को चारा घोटाला मामले के आरोपियों की दूसरी कैटेगरी में रखा था. पहले कैटेगरी में वह थे जिनके खिलाफ सबूत मिले थे. इनके खिलाफ अवैध रूप से घोटालेबाजों की मदद करने और रिश्वत लेने के आरोप में कोर्ट में केस दर्ज किया गया था. जबकि, दूसरी कैटेगरी में वैसे आरोपी थे जिन पर लापरवाही और मिस कंडक्ट के सबूत मिले थे. उनके खिलाफ सीबीआई ने राज्य सरकार को बड़ी सजा देने के लिए विभागीय कार्रवाई करने का दायित्व सौंपा था.
आईएएस के खिलाफ डिसिप्लिनरी रूल्स 1969 के तहत कार्रवाई होती है. अगर किसी अफसर के खिलाफ जांच रिपोर्ट आती है तो उन्हें प्रतिक्रिया देने के लिए 15 दिनों का मौका दिया जाता है. 15 दिनों में जवाब नहीं आता है तो सरकार विभागीय कार्रवाई कर सकती है. बिहार में ऐसे ही रिपोर्ट पर अंजनी कुमार, गोरे लाल यादव और विजय राघवन पर विभागीय कार्रवाई हो चुकी है.
गौरतलब है कि राजबाला वर्मा 28 फरवरी 2018 को रिटायर होंगी. जबकि सरकार 15 दिनों के समय सीमा के वावजूद भी 14 वर्षों से केवल रिमाइंडर भेजकर औपचारिकता पूरी कर रही है. नियम है कि रिटायरमेंट के बाद 4 वर्ष पुराने मामले पर विभागीय कार्रवाई नहीं चल सकती है.