झारखंड विधानसभा के स्थापना दिवस के मौके पर बुधवार को राजनीतिक दलों के बीच जम कर तू-तू मैं-मैं हुई. CNT-SPT एक्ट में संशोधन के मुद्दे पर विधानसभा में सत्ता पक्ष-विपक्ष में बहस हुई. झारखंड विधानसभा के 16वें स्थापना दिवस पर राज्य के पॉलिटिशयन, ब्यूरोंक्रेट्स के अलावा शहीदों के परिवार वालों को भी बुलाया गया था, कार्यक्रम में शहीदों के परिवार वालों को शॉल देकर सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम के दौरान नेता-विपक्ष हेमंत सोरेन ने बोलते हुए CNT-SPT एक्ट का राग छेड़ दिया और सरकार को चेताते हुए कहा कि संशोधन बिल को सदन में ना पेश किया जाए. जवाब में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि सदन में बिल जरुर आएगा, जिसमें हिम्मत हो तो वह रोकने की कोशिश करलें, इस मुद्दे को लेकर सदन व सदन के बाहर हंगामें के आसार अभी भी बने हुए है.
क्या है CNT-SPT एक्ट
CNT एक्ट यानि छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908. इस एक्ट को अंग्रेजों द्वारा छोटानागपुर और संथालपरगना इलाके में आदिवासियों के द्वारा किए जा रहे खरीद-फरोक्त को रोकने के लिए बनाया गया था. यह एक्ट संविधान की नौवीं
अनुसूची में शामिल है और जुडिशियल रिव्यू से बाहर है. CNT एक्ट की धारा 46 के तहत राज्य के छोटानागपुर और पलामू डिविजंस में ST/SC या OBC की जमीन सामान्य जाति के लोग नहीं खरीद सकते. साथ ही इन जातियों के लोगों
पर बिना उपायुक्त की अनुमति के अपने लोगों की जमीन हंस्तातरित करने या बेचने पर पाबंदी है. इसमें अफसरों द्वारा गलत शपथ पत्र के द्वारा जमीन हासिल करने पर IPC की धारा 463 व 466 के तहत दो से सात वर्षों की सजा का प्रावधान
है.
सरकार द्वारा बिल में किए जा रहे संशोधन के बाद अपना स्वामित्व बदले जमीन का नेचर बदल कर आदिवासी उसका गैर कृषि उपयोग कर सकते है.