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Gyanvapi Case: लखनऊ के पुराने बाजार की दुकानें बंद, अंजुमन इंतेजामिया कमिटी का अमन शांति बनाए रखने की अपील

वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में उत्तर प्रदेश की राजधानी के पुराने लखनऊ का बाजार शुक्रवार को बंद कर दिया गया. ज्ञानवापी मामले में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद वाराणसी ने बाजार बंद का ऐलान किया था, इसके बाद नक्खास अखबरी गेट के व्यापारियों ने बाजार बंद कर दिया.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

वाराणसी की जिला अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा—पाठ करने का अधिकार दिया जिस पर मुस्लिम पक्ष ने नाराजगी जाहिर की. उत्तर प्रदेश की राजधानी के पुराने लखनऊ का बाजार शुक्रवार को बंद कर दिया गया. ज्ञानवापी मामले में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद वाराणसी ने बाजार बंद का ऐलान किया था, इसके बाद नक्खास अखबरी गेट के व्यापारियों ने बाजार बंद कर दिया. इसी क्रम में राजधानी लखनऊ में बाजार बंद का असर दिखा.

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लखनऊ के मुस्लिम व्यापारियों का मिला समर्थन
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद वाराणसी के बाजार बंद के आह्वान का लखनऊ के मुस्लिम व्यापारियों ने समर्थन किया. पुराने लखनऊ के लगभग सभी मुस्लिम दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं. चौक, अकबरी गेट, नखास, बिल्लौचपुरा से लेकर बुलाकी अड्डे तक दुकानें बंद की गईं. अंजुमन ने लोगों से जुमे की नमाज़ अपने इलाके की मस्जिदों में अदा करने की अपील की. अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद वाराणसी ने लोगों से अमन शांति बनाए रखने की भी अपील की.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अदालती फैसले पर उठाए सवाल
इस मामले को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की भी प्रतिक्रिया सामने आई है और उसने कोर्ट के फैसले पर ही सवाल खड़े करते हुए इस फैसले की आलोचना की है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सैफुल्लाह रहमानी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 'हमारी अदालतें ऐसी राह पर चल रही हैं, जहां से लोगों का भरोसा उनसे टूट रहा है. ऐसा कई कानूनी जानकार भी मानते हैं. उन्होंने कहा, 'कल जो वाक़या पेश आया वो निराशा पैदा करने वाला है. वहां मस्जिद है. 20 करोड़ मुसलमानों को और इंसाफ पसंद तमाम शहरियों को इस फैसले से बहुत धक्का पहुंचा है. मुसलमान रंज की हालत में है. हिंदू और सिख जो भी यह मानते हैं की ये मजहब का गुलदस्ता हैं, उन सबको इस फैसले से धक्का लगा है.'

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उन्होंने कहा, 'हमको तारीख की इतिहास की सच्चाई को समझना चाहिए. इस मुल्क में अंग्रेज आए और उन्होंने फूट करो और राज करो की नीति अपनाई. 1857 में उन्होंने देखा कि खुदा की इबादत करने वाले और पूजा करने वाले दोनों देश के लिए एकजुट हैं. इसके बाद उन्होंने दोनों कौमों में फूट डालने यानि आपस में दूरियां पैदा करने का काम किया.'

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