झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार मॉब लिंचिंग और भीड़ हिंसा को रोकने के लिए एक सख्त कानून लाने जा रही है. इसका बिल तैयार है जिसे आज विधानसभा में पेश किया जा सकता है.
प्रस्तावित कानून में मॉब लिंचिंग के मामलों में उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया है. हालांकि, इस बिल पर सियासत भी शुरू हो गई है. विपक्षी पार्टी बीजेपी का आरोप है कि इस बिल को एक खास पार्टी और विशेष वर्ग को टारगेट करने के लिए लाया जा रहा है.
दरअसल, झारखंड में मॉब लिंचिंग या भीड़ हिंसा के मामले अक्सर आते रहते हैं. कभी डायन बिसाही तो कभी चोरी-अवैध संबंध के मामलों में पिटाई के मामले सामने आते रहे हैं. इन्हीं मामलों को रोकने के लिए ये कानून लाया जा रहा है. इसे मंगलवार को ही विधानसभा में पेश किया जा सकता है. प्रस्तावित विधेयक का नाम The Jharkhand Prevention of Mob Violence and Mob Lynching Bill 2021 रखा गया है.
उम्रकैद की सजा का प्रावधान
प्रस्तावित बिल में लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए आईजी स्तर के अधिकारी को नियुक्त किए जाने का प्रावधान है, जिसे नोडल अफसर कहा जाएगा. इस बिल में मॉब लिंचिंग की परिभाषा भी तय की गई है. अगर भीड़ की हिंसा या हिंसक घटनाओं में किसी की हत्या हो जाए तो उसे मॉब लिचिंग कहा जाएगा. दो या दो से ज्यादा लोगों के समूह को मॉब कहा जाएगा.
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नए बिल में मॉब लिंचिंग की घटना में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को उम्रकैद की सजा का प्रावधान है. साथ ही पीड़ितों के मुफ्त इलाज का प्रावधान भी इसमें किया गया है.
इस बिल पर सियासत भी तेज हो गई है. कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने इसका स्वागत करते हुए उम्रकैद की जगह सरकार से मृत्यु दंड की सजा का प्रावधान करने की मांग की है. इरफान अंसारी ने पिछली भाजपा सरकार में बड़े पैमाने पर मॉब लिंचिंग की घटना होने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब तक 60 लोग इसकी भेंट चढ़ गए हैं.
बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने आरोप लगाया गया कि बिल को एक राजनीतिक दल को टारगेट करके बनाया गया है. साथ ही ये भी कहा कि बिल में ऐसे प्रावधान नहीं होने चाहिए जिससे एक धर्म और विशेष संप्रदाय को ही इसका लाभ मिल सके. वहीं, माले विधायक ने कहा कि बिल में पीड़ितों को मुआवजा देने का प्रावधान नहीं किया गया है.
अगर ये बिल विधानसभा में पास हो जाता है तो राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बाद झारखंड तीसरा राज्य होगा, जहां मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून होगा.