झारखंड में आदिवासियों की जमीन और महाजनी प्रथा के खिलाफ एक आंदोलन चला था- धनकटनी आंदोलन. धनकटनी आंदोलन की उपज शिबू सोरेन ने अलग झारखंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन चलाया और खुद को बड़े आदिवासी नेता के तौर पर स्थापित करने में सफल रहे. अब शिबू सोरेन के 'सियासी धान' झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) पर संकट के बादल छा गए हैं.
गुरुजी और दिशोम गुरु के नाम से मशहूर शिबू के बेटे हेमंत सोरेन को जमीन घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया है. हेमंत ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. हेमंत की गिरफ्तारी की स्थिति में अगले सीएम के लिए हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन का नाम चर्चा में था लेकिन जब ऐलान हुआ, सत्ता की कमान शिबू के भरोसेमंद चंपई के हाथों में चली गई.
सत्ता की कमान भले ही चंपई के हाथ होगी लेकिन दबदबा दिशोम गुरु यानी शिबू सोरेन के परिवार का ही रहेगा, यह भी तय माना जा रहा है. दरअसल, शिबू सोरेन ने धनकटनी और अन्य छोटे-छोटे आंदोलनों के जरिए आदिवासियों को एकजुट किया, उनके अधिकार की लड़ाई से अपना सियासी आधार तैयार किया जिसे अलग झारखंड राज्य के आंदोलन ने और मजबूत किया.
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शिबू की बनाई जमीन पर सोरेन परिवार के सदस्य अपने सियासत की भव्य इमारत तैयार करते चले गए. झारखंड की सियासत में सोरेन परिवार के दबदबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि परिवार का करीब-करीब हर सदस्य राजनीति में सक्रिय है ही, कल्पना और बसंत को छोड़ दें तो लगभग सभी विधानसभा की देहरी तक पहुंच भी चुके हैं.
झारखंड की राजनीति में सोरेन परिवार से कौन-कौन
अविभाजित बिहार (तब झारखंड अलग राज्य नहीं बना था) की सियासत में आदिवासी नेता के रूप में एक युवा की एंट्री हुई थी जो शिबू सोरेन थे. शिबू सियासत में आए और छा गए. झारखंड राज्य के गठन के बाद शिबू तीन बार सूबे की सत्ता के शीर्ष पर रहे. शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन भी दो बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे तो वहीं उनके छोटे बेटे बसंत जेएमएम की युवा इकाई के प्रमुख हैं.
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हेमंत की बहन अंजली भी राजनीति में हैं और उनके बड़े भाई दुर्गा सोरेन भी विधायक रहे थे. दुर्गा सोरेन साल 2009 में अपने कमरे में मृत पाए गए थे. दुर्गा की पत्नी सीता साल 2009 में पहली बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुई थीं और लगातार तीन बार की विधायक हैं. हेमंत सोरेन खुद रामगढ़ कैंट सीट से विधायक हैं. वहीं, सीता सोरेन विधानसभा में दुमका सीट का प्रतिनिधित्व करती हैं.
झारखंड के किन इलाकों में सोरेन परिवार का दबदबा
झारखंड के रामगढ़ और धनबाद समेत कोयलांचल और वनांचल के इलाकों में सोरेन परिवार का दबदबा है. ये इलाके जेएमएम का मजबूत गढ़ माने जाते हैं. जेएमएम की स्थापना का ऐलान भी धनबाद में ही हुआ था. संथाल परगना और कोल्हान प्रमंडल जैसे इलाके भी सोरेन परिवार का मजबूत गढ़ माने जाते हैं. हालांकि, हेमंत अपनी गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी कल्पना सोरेन को सौंपना चाहते थे लेकिन सीता सोरेन ने इस पर आपत्ति जता दी. ऐसे में अब जेएमएम के सामने सोरेन परिवार को एकजुट बनाए रखने, दबदबा बचाए रखने की चुनौती है.