नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर पर मचे बवाल के बीच NRC का विरोध करने वाले राज्यों में एक नाम और जुड़ सकता है. झारखंड से भारतीय जनता पार्टी की सरकार जाते ही राज्य के भावी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सीएए और एनआरसी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वो राज्यहित के मुताबिक इस पर फैसला लेंगे.
23 दिसंबर को आए नतीजों में झारखंड मुक्ति मोर्चा को शानदार समर्थन मिलने के बाद हेमंत सोरेन ने टीवी टुडे नेटवर्क के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल से एक्सक्लूसिव बातचीत की. राहुल कंवल ने जब हेमंत सोरेन से झारखंड में एनआरसी लागू करने या ना करने पर जब सवाल किया तो उन्होंने दस्तावेज का हवाला देकर खुले तौर पर तो इसका विरोध नहीं किया, लेकिन ये जरूर कहा कि इस प्रक्रिया से नोटबंदी की तरह लोगों को लाइनों में लगना पड़ेगा, जिसमें बहुत लोगों की मौत तक हो गई थी.
हेमंत सोरेन ने कहा, 'अभी हमारे पास कोई दस्तावेज नहीं है, कुछ आएगा तो देखेंगे-परखेंगे, राज्य हित में कैसा होगा तब फैसला लेंगे. लेकिन प्रथम दृष्टया ये लाइन में लगाने वाला नजर आ रहा है. लोगों को कागज तलाशने पड़ेंगे. 18 करोड़ से अधिकर खेतिहर मजदूर हैं, जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं है. वो मजदूर रोजगार देखेगा या कागज ढूंढेगा. ये तय है कि नोटबंदी की तरह ही लोगों को लाइन में लगना पड़ेगा.'
इसके अलावा हेमंत सोरेन ने एनआरसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बयान का हवाला देकर भ्रम की स्थिति भी बताई. सोरेन ने कहा कि प्रधानमंत्री रैली में कहते हैं कि एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई है, जबकि गृहमंत्री ने संसद में कहा है कि एनआरसी लाकर रहेंगे, ये भ्रम क्यों हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी चीजें लाई जा रही हैं, जिससे भ्रम की स्थिति है और इससे सिर्फ अल्पसंख्यक ही नहीं, दूसरे लोग भी परेशान होंगे.
यानी हेमंत सोरेन ने CAA और NRC को लेकर साफ तौर पर हां या ना में जवाब तो नहीं दिया, लेकिन इसे जनविरोधी बताकर अपने इरादे जरूर जाहिर कर दिए.
ये मुख्यमंत्री कर चुके हैं विरोध
हेमंत सोरेन ने जहां सीएए-एनआरसी पर अभी सिर्फ सवाल ही उठाए हों, लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी ने खुले तौर पर एनआरसी का विरोध किया है. तीनों मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वो अपने राज्यों में एनआरसी को लागू नहीं होने देंगे.
इन तीन मुख्यमंत्रियों के अलावा पंजाब में बीजेपी की सहयोगी पार्टी अकाली दल ने भी CAA में मुस्लिमों को शामिल नहीं किए जाने पर सवाल उठाए हैं. अकाली दल ने इस कानून में बाकी 6 धर्म के साथ मुसलमानों को भी जोड़ने की मांग की है.
CAA और NRC पर विरोध की आवाज में झारखंड का भी नाम जुड़ गया है. हालांकि, अभी उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ली है, ऐसे में उन्होंने आधिकारिक तौर पर एनआरसी लागू नहीं करने पर फैसला भी नहीं लिया है.