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झारखंड में इस वक्त सियासी दंगल मचा हुआ है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर तलवार लटक रही है. उनको जनप्रतिनिधि कानून 1951 के तहत लाभ के पद के मामले में दोषी पाया गया है. अब आखिरी फैसला राज्यपाल को लेना है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर शुक्रवार को हेमंत सोरेन को सीएम पद छोड़ना पड़ा तो उनकी जगह कौन लेगा? इस रेस में वैसे तो कई नाम हैं लेकिन सबसे आगे हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन हैं.
कल्पना सोरेन ओडिशा के मयूरभंज की रहने वाली हैं. वहां की एक बिजनेसमैन फैमिली में उनका जन्म हुआ. उनके दो भाई-बहन हैं. बचपन की बात करें तो 1976 में रांची में उनका जन्म हुआ था. फिर रांची से ही उन्होंने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की. इसके बाद 2006 में हेमंत सोरेन से उनकी शादी हुई. इनके दो बच्चे हैं.
कल्पना सोरेन खुद बिजनेसवुमन हैं. वह एक प्राइवेट स्कूल भी चलाती हैं. सामाजिक कार्यक्रमों में उनको बेहद कम देखा जाता है. लेकिन महिला सशक्तिकरण और बच्चों से जुड़े कार्यक्रमों में वह अकसर शामिल होती हैं.
राजनीतिक अनुभव पर उठ रहे सवाल
कल्पना सोरेन का नाम चर्चा में तो है. लेकिन बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या बिना राजनीतिक अनुभव के झारखंड की राजनीति में मची उथल-पुथल को वह संभाल पाएंगी? ऐसे में यह समझना जरूरी है कि कल्पना सोरेन के माता-पिता भले ही राजनीतिक परिवार से ना हों. लेकिन अपने ससुराल में वह पिछले 16 सालों से यह सब देख रही हैं.
उनके पति हेमंत सोरेन को राजनीति का लंबा अनुभव है. वह दो बार सीएम रह चुके हैं. इसके साथ ही कल्पना के ससुर शिबू सोरेन राजनीति के पुराने और जाने-पहचाने चेहरे हैं. ये सब बातें कल्पना के समर्थन में जाती हैं.
पूर्व सीएम रघुवर दास ने लगाए थे आरोप
कल्पना सोरेन की बिजनेस फर्म चर्चा में भी रही है. राज्य के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता रघुवर दास ने आरोप लगाया था कि हेमंत सोरेन ने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करके अपनी पत्नी के नाम पर एक प्लॉट अलॉट किया था. कहा गया था कि हेमंत जिस उद्योग विभाग के मुखिया थे, उसने कल्पना के नाम पर 11 एकड़ जमीन की थी.
रघुवर दास ने आरोप लगाया था कि यह प्लॉट मीट प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए soharai private limited को दिया गया था. कहा गया था कि इस कंपनी की मालिक कल्पना सोरेन हैं. दास ने कहा था कि इस तरह जमीन अलॉट करना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का उल्लंघन है. कहा गया था कि सीएम इस तरह अपने परिवार के सदस्यों को कॉन्ट्रैक्ट, डील या फिर लीज पर जमीन नहीं दे सकते.
शुक्रवार को फैसला ले सकते हैं राज्यपाल
चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को लाभ के पद के मामले में दोषी पाया है. अब चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को अपना फैसला भेज दिया है. राज्यपाल अपना फैसला शुक्रवार को सुनाने वाले हैं.
चुनाव आयोग ने 18 अगस्त को सुरक्षित रखा था फैसला
चुनाव आयोग के मुताबिक, हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए पिछले साल अपने नाम से खनन का पट्टा आवंटित करा लिया था. इस साल फरवरी में बीजेपी ने जब राज्यपाल से इसकी शिकायत की तो मामले की जांच शुरू हुई. राज्यपाल ने चुनाव आयोग को अपनी रिपोर्ट भेजी. फिर चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन से उनका पक्ष पूछा. दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद चुनाव आयोग ने 18 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था. जो अब राज्यपाल को भेजा गया है.
उधर हेमंत सोरेन सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके उनकी सरकार गिराने की कोशिश कर रही है. सरकार में सहयोगी कांग्रेस पार्टी दावा कर रही है कि खुद के नाम खनन पट्टा लेना लाभ के पद के दायरे में नहीं आता. लेकिन इस विवाद को लेकर कई और सवाल उठ रहे हैं.
क्या है मामला
हेमंत सोरेन को रांची जिले के अनगड़ा ब्लॉक में 0.88 एकड़ ज़मीन का खनन पट्टा मिला था. दस्तावेजों के मुताबिक 28 मई 2021 को हेमंत सोरेन ने आवेदन दिया और उन्हें 15 जून 2021 को मंजूरी मिल गई थी. इसके बाद 9 सितंबर को पर्यावरण विभाग से मंजूरी मांगी गई जो 22 सितंबर को मिल गई.
11 फरवरी 2022 को बीजेपी ने राज्यपाल से मिलकर शिकायत की कि ये लाभ के पद का मामला बनता है और सीएम खुद के नाम से खनन पट्टा नहीं ले सकते. इसके बाद हेमंत सोरेन ने 11 फरवरी 2022 को लीज सरेंडर करके खुद को अलग कर लिया.
खनन के धंधे में हेमंत सोरेन सरकार के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ तब होना शुरू हुआ जब झारखंड की खनन सचिव रह चुकी पूजा सिंघल के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी शुरू की. ईडी को पूजा सिंघल के सीए सुमन कुमार के एक ही ठिकाने से साढ़े सत्रह करोड़ रुपये नकद मिले थे. ये रकम इतनी ज्यादा थी कि गिनने में 14 घंटे का वक्त लग गया था. ईडी सूत्रों के हवाले से दावा किया गया कि पूजा सिंघल और उनके करीबियों के करीब 150 करोड़ रुपये के निवेश का खुलासा हुआ और कई अहम दस्तावेज भी मिले.
हालांकि ये जांच 28 करोड़ रुपये के मनरेगा घोटाले के सिलसिले में हो रही थी लेकिन छापे में ईडी को कई अहम सुराग मिले थे. इस बीच मार्च 2022 में जब ईडी ने अवैध खनन के मामले में PMLA एक्ट के तहत केस दर्ज किया और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच शुरू की तो झारखंड के 20 ठिकानों पर छापेमारी की गई.
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और बच्चू यादव की गिरफ्तारी और पूछताछ के बाद ईडी ने ये छापेमारी की थी. इतना ही नहीं झारखंड में ईडी की छापेमारी में पिछले दिनों हेमंत सोरेन सरकार के करीबी प्रेम प्रकाश के घर से 2 ऑटोमैटिक राइफल भी बरामद हो चुकी है. बाद में सामने आया कि ये बंदूकें पुलिस कॉन्सटेबल्स की थी, जिनको अब सस्पेंड कर दिया गया है.