झारखंड की चर्चित IAS पूजा सिंघल अब सलाखों के पीछे पहुंच चुकी हैं. मनरेगा और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ED ने कल उन्हें लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है. बताया जा रहा है जेल की सलाखों के पीछे पहुंचते ही उन्हें चक्कर आ गया. जैसे ही इसका पता अधिकारियों को चला जेल के डॉक्टरों को जांच के लिए बुलाया गया. जेल प्रशासन के मुताबिक अब आईएएस पूजा सिंघल की तबीयत सामान्य है.
मनरेगा घोटाले में भी हुई पूछताछ:
झारखंड में 2009-10 में मनरेगा घोटाला हुआ था. उसी मामले में कुछ दिन पहले ED ने एक साथ झारखंड, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और राजस्थान में रेड डाली थी. तब उसी रेड के दौरान ये 19 करोड़ 31 लाख रुपये बरामद किए गए. 19 करोड़ 31 लाख रुपयों में से 17 करोड़ चार्टर्ड अकाउंटेंट अकाउंट के आवास से बरामद किए गए. बाकी रुपये एक कंपनी से मिले थे.
उस समय ईडी ने पूजा सिंघल के आवास के अलवा उनके पति के रांची में स्थित अस्पताल में भी रेड डाली थी. जांच एजेंसी को सिर्फ पैसे ही बरामद नहीं हुए बल्कि कई अहम दस्तावेज भी हाथ लगे. इसके अलावा दोनों द्वारा कई फ्लैट में किए गए निवेश की बात भी सामने आई. करीब 150 करोड़ के निवेश के कागजात मिलने की बात कही गई थी.
कई अधिकारी थे संदेह में:
जमीन अधिग्रहण में गड़बड़ी को लेकर राजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में 2017 में एसएलपी (Special Leave Petition) दायर किया था, जिसके बाद अंतिम बार 12 जुलाई 2019 में सुनवाई हुई थी. पलामू के पड़वा स्थित कठौतिया कोल माइंस के लिए 165 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी. माइनिंग के लिए आवंटित जमीन में वन भूमि और भूदान की जमीन शामिल थी.जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी के इस मामले में खान सचिव पूजा सिंघल, झारखंड की पूर्व मुख्य सचिव राजबाला वर्मा समेत कई टॉप अधिकारी संदेह के घेरे में थे.
2015 में राज्यपाल को लिखा था पत्र:
इस मामले को लेकर एटक के राजीव कुमार ने गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए 2015 में राज्यपाल को पत्र लिखा था. राज्यपाल ने मामले की जांच की जिम्मेदारी राजस्व सचिव और कार्मिक सचिव को दी थी. दोनों अधिकारियों के निर्देश पर पलामू के तत्कालीन आयुक्त एनके मिश्रा ने आवंटित जमीन को लेकर कई गड़बड़ियां पकड़ी थीं और मामले में राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी. आयुक्त की जांच रिपोर्ट में पलामू की तत्कालीन डीसी पूजा सिंघल, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी उदय कांत पाठक, पड़वा सीओ आलोक कुमार समेत कई कर्मियों को दोषी माना गया था. हालांकि सरकार ने इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं करते हुए सभी को क्लीन चिट दे दी थी.
साल 2016 में पूरे मामले को लेकर राजीव कुमार झारखंड हाई कोर्ट गए थे. झारखंड हाई कोर्ट में राजीव कुमार की याचिका को रद्द करते हुए 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था. बाद में राजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (Special Leave Petition) दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार के एसएलपी को स्वीकार करते हुए पूरे मामले की सुनवाई शुरू की थी.
कठौतिया कोल माइंस के लिए 500 एकड़ जमीन ली गई थी, जबकि सरकार ने 165 एकड़ जमीन आवंटित की थी. 82 एकड़ जमीन में बंदोबस्ती हुए थे, जबकि बाकी की जमीन को बंजर दिखाते हुए कंपनी को आवंटित कर दिया गया था. सूत्र बताते हैं कि ED भी इस मामले में पूछताछ कर चुकी है. चतरा में भी 4 करोड़ के मनरेगा fund के misappropriat ion की बात सामने आई थी. तमाम मामले को ED द्वारा खंगाले जाने की सूचना है.
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