झारखंड में पत्थलगड़ी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि पत्थलगड़ी की आड़ में अफीम की अवैध खेती की जा रही है. इन सबको राष्ट्र-विरोधी ताकतें संरक्षण दे रही हैं. बता दें कि झारखंड में खूंटी और गुमला जिले के आदिवासी बहुल गावों में इन दिनों पत्थलगड़ी का कार्यक्रम काफी तेज गति से हो रहा है. इसमें पुलिस या प्रशासनिक अधिकारियों का गांव में ग्राम सभा की बिना अनुमति के प्रवेश निषेध है.
गांव का विकास हो रहा प्रभावित
गांव के बाहर लगे शिलापट्ट पर साफ तौर पर चेतावनी लिखी है कि गांव में बिना ग्राम सभा की अनुमति के किसी भी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश मना है. सरकार का आरोप है कि दरअसल पत्थलगड़ी की आड़ में समाज विरोधी तत्व अफीम की अवैध खेती में लगे हुए हैं. साथ ही वे पत्थलगड़ी का सहारा लेकर आदिवासियों और गांव वालों को देश और राज्य सरकार के खिलाफ भड़काने में जुटे हुए हैं.
मुख्यमंत्री रघुवर दास का मानना है कि पत्थलगड़ी की वजह से गांव का विकास प्रभावित हो रहा है. हालांकि रघुवर दास ने कहा है कि सरकार राष्ट्र-विरोधी ताकतों द्वारा चलाए जा रहे इस कार्यक्रम को किसी भी सूरत में रहने नहीं देगी. गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से गांव में छापेमारी करने गए पुलिस जवानों को जबरन बंधक बनाए जाने की खबरे लगातार आ रही हैं.
आदिवासियों की पुरानी परंपरा है पत्थलगड़ी
पहले आदिवासी इसका उपयोग अवांछित लोगों को गांव के अंदर घुसने से रोकने के लिए किया करते थे, लेकिन बीते कुछ सालों से इसमें काफी तेजी आई है. बताया जाता है कि खूंटी और बंदगांव क्षेत्र में जो पत्थलगड़ी हो रही है, वह सरना समाज की पत्थलगड़ी से अलग है. दरअसल पत्थलगड़ी करने वाले नहीं चाहते कि उनके गांव में बाहरी लोग आएं. वैसे पत्थलगड़ी आदिवासी समाज की परंपरा है. इसके तहत से गांव का सीमांकन किया जाता है, लेकिन अब इसी की आड़ में इनदिनों गांव के बाहर अवैध ढंग से पत्थलगड़ी की जा रही है. पत्थर पर ग्राम सभा का अधिकार दिलाने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेदों की गलत व्याख्या करते हुए ग्रामीणों को आंदोलन के लिए उकसाया जा रहा है.