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झारखंड: जामताड़ा में रिक्शा चालक से करवाया गया ध्वजारोहण, ये रखी गई शर्त

इस परंपरा के अनुसार समाज के उन लोगों को ध्वजारोहण का मौका दिया जाता है जो समाज के वंचित तबके से आते हैं. वहीं शर्त ये भी रहती है कि वे लोग शराब का सेवन ना करते हों और उनके बच्चों को किसी स्कूल में अच्छी शिक्षा मिल रही हो.

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रिक्शा चालक ने किया ध्वजारोहण
रिक्शा चालक ने किया ध्वजारोहण
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रिक्शा चालक ने किया ध्वजारोहण
  • शर्त रखी- शराब नहीं पीते हों

झारखंड के जामताड़ा में कई सालों से एक अनोखी परपंरा चल रही है. वहां पर समाज के उन लोगों से स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण करवाया जाता है जो दबे कुचले हैं, पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखते हैं. इस साल भी जामताड़ा में ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब एक रिक्शा चालक ने ध्वजारोहण भी किया और बाद में तिरंगे को देख सलाम भी ठोका.

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रिक्शा चालक ने किया ध्वजारोहण

इस परंपरा के अनुसार समाज के उन लोगों को ध्वजारोहण का मौका दिया जाता है जो समाज के वंचित तबके से आते हैं. वहीं शर्त ये भी रहती है कि वे लोग शराब का सेवन ना करते हों और उनके बच्चों को किसी स्कूल में अच्छी शिक्षा मिल रही हो. अगर कोई इन मापदंडों पर खरा उतरता है तो उन्हें स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण करने का मौका मिल जाता है.

इस साल ये मौका रिक्शा चालक बामा बाउरी को दिया गया जिन्होंने बकायदा पहले ध्वजारोहण किया और उसके बाद सलामी भी दी. ये पहल कई लोगों के लिए नई हो सकती है, लेकिन जामताड़ा का हर निवासी इसका आदी हो चुका है क्योंकि पटेल सेवा संघ द्वारा ही कई सालों से इस परंपरा का आयोजन किया जा रहा है.

पटेल सेवा संघ के अध्यक्ष राजेंद्र राउत ने कहा कि यह हमारी परंपरा चली आ रही है और यह 21वां साल है. वहीं रिक्शा चालक बामा बाउरी ने कहा कि ये मेरे लिए गौरव की बात है कि मैंने 75 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडोत्तोलन किया और झंडे को सलामी दी. 

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परपंरा के पीछे का तर्क

अब इस पहल के पीछे पटेल सेवा संघ ने तर्क दिया है कि उन्हें समाज के हर वर्ग में देश भक्ति की भावना को जगाना है. वे चाहते हैं कि सभी अपने देश से प्यार करें, देश के झंडे का सम्मान करें. इसी वजह से हर साल समाज के इस वर्ग को ये खास मौका दिया जाता है.

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