scorecardresearch
 

जामताड़ाः बेटे को खून चढ़ाने के लिए पिता ने साइकिल से तय की करीब 400 किलोमीटर की दूरी

झारखंड के गोड्डा जिले के प्रतापपुर गांव का 5 साल का विवेक थैलेसीमिया यानी खून के नहीं बनने की बीमारी से ग्रसित है. और उसे खून चढ़ाने के लिए पिता दिलीप ने बेटे को साथ लेकर साइकिल से ही 400 किलोमीटर जाने और आने में सफर तय कर डाला.

Advertisement
X
पिता ने बच्चे संग साइकिल से किया 400 किमी का सफर (फोटो-आजतक)
पिता ने बच्चे संग साइकिल से किया 400 किमी का सफर (फोटो-आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • थैलीसेमिया बीमारी से पीड़ित है 5 साल का विवेक
  • हर महीने 2 यूनिट ए निगेटिव खून की है जरूरत
  • साइकिल पर सवार होकर गोड्डा से पहुंचे जामताड़ा

झारखंड के गोड्डा का एक गरीब पिता अपने लाल की जिंदगी की खातिर बेटे को बिठाकर सैकड़ों किलोमीटर साइकिल चलाने को मजबूर हुआ. एक तरफ लॉकडाउन की मार तो दूसरी ओर जिंदगी की जद्दोजहद. कोरोना काल की इस मुश्किल घड़ी में खून के लिए भटक रहे मजबूर पिता ने करीब 200 किमी जाने में जरा भी देर नहीं लगाई. राज्य के दूसरे छोर से जामताड़ा तक करीब 400 किमी अपने बेटे को लेकर आना-जाना कर लिया.

Advertisement

गोड्डा जिले के प्रतापपुर गांव का 5 साल का विवेक थैलेसीमिया यानी खून के नहीं बनने की बीमारी से ग्रसित है. पिता दिलीप यादव बेटे की जिंदगी बचाने के लिए ए निगेटिव ग्रुप के दो यूनिट खून के लिए हर महीने जद्दोजहद करते हैं, लेकिन गरीबी इसमें आड़े आती है.

दिलीप यादव शुक्रवार के दिन करीब 200 किलोमीटर साइकिल चलाकर बेटे के साथ जामताड़ा पहुंचे जहां जामताड़ा के दो युवकों चेतन कृष्ण यादव और विश्वजीत सिंह ने एक-एक यूनिट खून डोनेट किया. बच्चो को हर महीने ए निगेटिव ग्रुप के खून की जरूरत पड़ती है. लेकिन इस ब्लड ग्रुप का खून सभी ब्लड बैंकों में हमेशा उपलब्ध नहीं रहता है.

बेटे को खून चढ़ाने के लिए साइकिल से जमाताड़ा जाता पिता (फोटो-आजतक)
बेटे को खून चढ़ाने के लिए साइकिल से जमाताड़ा जाता पिता (फोटो-आजतक)

बच्चे को दो यूनिट खून चढ़ाने के बाद वह फिर साइकिल से 200 किलोमीटर का सफर तय कर मेहरमा प्रखंड के प्रतापपुर गांव वापस लौट आए. दरअसल विवेक जन्म से ही इस बीमारी से पीड़ित है. इसके पिता को पांच महीने बाद ही इस बीमारी की जब जानकारी मिली तो उन्होंने हार नहीं मानी और वे बच्चे को लेकर भागलपुर गए जहां शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आरके सिन्हा ने बीमारी की पुष्टि की.

Advertisement

दिलीप यादव बताते हैं कि विवेक के जन्म के करीब पांच माह बाद उसे बराबर सर्दी खांसी रहती थी. वह काफी कमजोर होने लगा था. कई डॉक्टरों से इलाज कराया तो भी कुछ फायदा नहीं हुआ. पहली बार बिहार के पीरपैंती के डॉक्टर अरुण ने थैलीसीमिया की बात बताई. उस पर विश्वास नहीं हुआ. फिर भागलपुर के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ आरके सिन्हा ने भी यही दुहराया.

इसे भी क्लिक करें --- फैक्ट चेक: बीजेपी और पीएम मोदी की आलोचना कर रहीं कांग्रेस नेता डॉली शर्मा को बताया जा रहा मेनका गांधी

फिर बेहतर इलाज करने के लिए पिता ने दिल्ली ले जाने की ठानी. सफदरगंज अस्पताल में कई महीने तक मुफ्त में खून मिलता रहा जब पिछले साल लॉकडाउन हुआ तो इन्हें फिर वापस घर आना पड़ा. सफदरगंज अस्पताल के चिकित्सकों ने कहा है कि स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से इसकी बीमारी दूर हो सकती है लेकिन इसके लिए 10 लाख रुपये की जरूरत है और तब से ये प्रयास कर रहे हैं कि किसी तरह से अपने बेटे का इलाज करवा सकें.

पिता दिलीप यादव ने बेटे का दिल्ली में भी इलाज कराया था

उन्होंने स्थानीय विधायक दीपिका पांडे से भी संपर्क किया लेकिन अब तक कोई रास्ता नहीं निकल पाया है. पिता के बच्चे को बचाने की जद्दोजहद की जानकारी मिलने के बाद महागामा के बीडीओ अभिषेक कुमार सिंह उनके घर पर पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी भी ली.

Advertisement

उन्होंने आश्वासन दिया है कि सरकार के असाध्य रोग के इलाज के लिए मिलने वाली सहायता राशि उन्हें मुहैया कराएंगे. बच्चे के पिता दिलीप यादव बताते हैं कि देश में अच्छे लोगों की भी कमी नहीं है. बिना जान पहचान वाले भी लोग उन्हें मदद करते हैं और यही वजह है कि अभी तक विवेक की जिंदगी की गाड़ी चल रही है. (इनपुट- गोड्डा से संतोष)

 

Advertisement
Advertisement