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रांची: ताना भगतों को सरकार का तोहफा, पोशाक के लिए हर साल मिलेंगे 2 हजार रुपये

ताना भगतों ने स्वतंत्रता आंदोलन में अहम योगदान दिया है. ये लोग खुद को महात्मा गांधी के अनुयायी कहते हैं. आजादी के 74 साल बाद भी ताना भगत आज भी गांधीवादी विचारधारा एवं जीवनशैली पालन करते हैं. ये लोग सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं और निरामिष भोजन करते हैं.

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ताना भगत (प्रतीकात्मक तस्वीर)
ताना भगत (प्रतीकात्मक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • महात्मा गांधी के समर्थक हैं ताना भगत
  • राज्य सरकार ने की मदद की घोषणा

झारखंड सरकार ने राज्य के ताना भगतों के लिए सौगात की घोषणा की है. राज्य सरकार ने इन ताना भगतों को इनके विशेष पोशाक का खर्चा उठाने के लिए हर साल 2000 रुपये देने की घोषणा की है.  

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ताना भगत हमेशा सफेद धोती, खादी कुर्ता और सफेद गांधी टोपी पहनते हैं. झारखंड का ये आदिवासी समुदाय तिरंगे की पूजा करता है. ये लोग हर गुरुवार को तिरंगे की पूजा करते हैं. 

ताना भगतों ने स्वतंत्रता आंदोलन में अहम योगदान दिया है. ये लोग खुद को महात्मा गांधी के अनुयायी कहते हैं. आजादी के 74 साल बाद भी ताना भगत आज भी गांधीवादी विचारधारा एवं जीवनशैली का पालन करते हैं. ये लोग सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं और निरामिष भोजन करते हैं.

ये ताना भगत खुद का बनाया भोजन करते हैं. इन्हें होटल में भोजन करना पसंद नहीं है. स्वच्छता और स्वस्थ जीवन इनकी दिनचर्या का हिस्सा है. 

पूर्व विधायक गंगा ताना भगत का कहना है कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जब अविभाजित बिहार के रामगढ़ में कांग्रेस का अधिवेशन होने वाला था उस दौरान गांधी जी ने इनसे मुलाकात की थी. उसके बाद से ही ताना भगत गांधी जी के भक्त हो गए.  

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ताना भगत समुदाय के लोग कहते हैं कि वर्तमान में खादी वस्त्र महंगा होने के कारण कुछ लोग ही इसे पहन पा रहे हैं. ऐसे में सरकार की मदद इनके लिए काफी कारगर साबित हो सकती है. 

झारखंड में ताना भगत समुदाय के लोगों की संख्या 27 हजार के लगभग है. अपनी स्वच्छ आदतों की वजह से इस पूरे समुदाय में किसी को भी कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं हुआ. 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पहली बार किसी सरकार ने ताना भगतों के लिए कुछ किया है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से ताना भगतों को काफी लाभ होगा. 

 

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