scorecardresearch
 

Jharkhand: CM सोरेन का दावा- माइनिंग लीज मामले में बिल्ड हुआ नैरेटिव, मैं दोषी नहीं

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इन तीन सालों में बीजेपी ने हमारी सरकार को राजनीतिक तौर पर अस्थिर करने की कोशिश की, जिस ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मुद्दा उठाया गया, उसमें हम बिल्कुल निर्दोष हैं. सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार ने बीते तीन सालों में जनहित में कई फैसले लिए हैं.

Advertisement
X
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (फाइल फोटो)
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (फाइल फोटो)

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के तीन साल 29 दिसंबर को पूरे होने जा रहे हैं. ऐसे में हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार ने इस दौरान कई चुनौतियों का सामना किया है. लेकिन हमारी उपलब्धियां किसी से छिपी हुई नहीं हैं. सोरेन ने केंद्र पर उनकी सरकार को अस्थिर करने का आरोप भी लगाया.

Advertisement

हेमंत सोरेन ने कहा कि इन तीन सालों में बीजेपी ने हमारी सरकार को राजनीतिक तौर पर अस्थिर करने की कोशिश की, जिस ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मुद्दा उठाया गया, उसमें हम बिल्कुल निर्दोष हैं. सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार ने बीते तीन सालों में जनहित में कई फैसले लिए. लेकिन बीजेपी ने उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की. 

माइनिंग लीज का मलाल नहीं

सोरेन ने कहा कि उन्हें माइनिंग लीज का भी कोई मलाल नहीं है. उन्होंने माइनिंग लीज को लेकर कोई गलती नहीं की. सरकार को अस्थिर करने के लिए नैरेटिव बिल्ड किया गया. 

उन्होंने कहा कि माइनिंग लीज उस समय की गई, जब वह विधायक नहीं थे. उसके बाद वह राज्यसभा सदस्य बने, उपमुख्यमंत्री बने और विपक्ष के नेता बने लेकिन उस समय तक बीजेपी सोई रही. लेकिन मेरे मुख्यमंत्री बनते ही बीजेपी को यह मामला याद आ गया. बीजेपी किसी भी तरह हमारी सरकार को सत्ता से हटाकर खुद काबिज होना चाहती थी. हमें सीबीआई और ईडी का चाबुक भी दिखाया गया. 

Advertisement

हेमंत सोरेन ने कहा कि हमने केंद्र सरकार से अपने अधिकार मांगें हैं. इसमें क्या गलत है? झारखंड एक उत्पादक राज्य है, उसके लिए जीएसटी कंपेनसेशन जारी रखा जाना चाहिए. झारखंड कोई कंज्यूमर स्टेट नहीं है. कोयला कंपनियों पर राज्य का एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये बकाया है. हमने वह मांगा है. वाजिब मांग उठाना कहां गलत है?

युवाओं को रोजगार देने की नीयत

सोरेन ने कहा है कि हमारी नीयत अच्छी है. हमारी नीयत हमारे लोगों को अधिकार देने की है. युवाओं को रोजगार देने की है. अदालत में हमारी नीतियों पर उंगली उठाने वाले बाहरी  या फिर बीजेपी के हैं. वे नहीं चाहते कि राज्य में अच्छी नीतयां लागू नहीं हो. 

उन्होंने कहा कि ये लोग राज्य की ब्यूरोक्रेसी की क्षमता और उसकी कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं. यह बीते 20 साल की बीमारी है. ब्यूरोक्रेट्स कमरों में बैठे रहते थे. हमारी सरकार बनी तो उन्होंने गांवों तक और जनता तक जाना पड़ रहा है. 

बता दें कि झारखंड में महागठबंधन की सरकार है, जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस शामिल हैं. विधानसभा चुनाव के बाद तीनों दलों ने मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी और बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया था.

Advertisement

Advertisement
Advertisement