जवानों की बीवियों के भाग्य में आंसू ही क्यों आते हैं. यह सवाल दिलो-दिमाग में कांटे की तरह चुभता है जब आप इन तस्वीरों को देखते हैं. छत्तीसगढ़ के नक्सली हमले में शहीद हुए जवान प्रदीप कुमार मिर्धा का शव दो दिन के बाद गुरुवार को रांची में उनके पैतृक घर पहुंचा. शव के पहुंचते ही यहां चीख-पुकार मच गई.
धुर्वा इलाके में शहीद प्रदीप को विदाई देने कई लोग आए. परिवारवालों का रो-रोकर बुरा हाल था. 1992 में CRPF ज्वॉइन करने वाले प्रदीप कुमार के परिवार में पत्नी, बूढ़ी मां, दो बेरोजगार भाई और तीन छोटी बेटियां हैं.
शहीद जवान को श्रद्धांजलि देने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, DGP और कई पुलिस आधिकारी मौजूद थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पीड़ित परिवार को स्वावलंबी बनाने के लिए पूरी कोशिश करेगी.
नक्सली हमलों में जवान अकसर शहीद होते रहे हैं. लेकिन उनके परिवारों की सहायता पहुंचाने की तमाम तरह की सरकारी घोषणाएं अकसर कागजी साबित होती है. ऐसे में देश की आतंरिक सुरक्षा में अपनी जान की कुर्बानी देने वाले इन शहीदो के परिवार वाले सरकारी उपेक्षा के खासे नाराज हैं.