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सीएम किसी की मदद का आश्वासन कर दें लेकिन फिर भी प्रशासन कोई कार्रवाई ना करे, फिर भी मरीज को दर-दर भटकना पड़े, ऐसे राज्य की स्वास्थ्य सेवा को लेकर क्या ही कहा जाएगा. ऐसा ही कुछ झारखंड में देखने को मिला है जहां पर एक कैंसर पीड़िता को अपने इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं. सीएम हेमंत सोरेन ने मदद का आश्वासन भी किया, अधिकारियों को निर्देश भी दिया लेकिन फिर भी जमीन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
सीएम से मिला मदद का आश्वान, फिर भी नहीं राहत
कैंसर पीड़िता महिला का नाम सुकांति उराव है और वे काफी गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं. अब क्योंकि उनका परिवार कैंसर का इलाज नहीं करवा सकता है, ऐसे में उन्होंने सरकार से ही इलाज की गुहार लगाई थी. अब उनकी पुकार को सुना भी गया और सीएम हेमंत सोरेने ने साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री गंभीर रोग उपचार योजना के तहत इस महिला का कैंसर का इलाज होना चाहिए. इस सिलसिले में जिले के उपायुक्त शिशिर कुमार सिन्हा को भी सीएम द्वारा आदेश जारी किए गए थे.
दर-दर भटक रही कैसर पीड़िता
अब इतना सबकुछ तो हुआ लेकिन कैंसर पीड़िता को इलाज नहीं मिला. जब मदद में लगातार देरी होती रही और हालत बिगड़ती रही, ऐसे में फिर रिश्देदारों से पैसे लेकर निजी अस्पातल में जाने का फैसला हुआ. वहां भी अस्पताल में 800 रुपये की फीस जमा करवानी पड़ गई, वहीं डॉक्टर ने भी इलाज के रूप में सर्जरी बता दी. अब इलाज महंगा है, लेकिन गरीब परिवार के पास इतने पैसे नहीं. मिशन बदलाव के संस्थापक भूषण भगत की तरफ से मदद का प्रयास तो किया जा रहा है, लेकिन प्रशासन से मदद नहीं मिल रही है. कहा जा रहा है कि अगर समय रहते इलाज नहीं मिला तो जान पर खतरा बन सकता है.
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ये घटना सीएम हेमंत सोरेन और उनके प्रशासन पर कई तरह के सवाल खड़े कर देती है. जिस राज्य में सीएम के निर्देशों का ही पालन नहीं होता हो, वहां पर आम जनता की देखभाल कैसे होगी, ये अपने आप में बड़ा सवाल है. मुख्यमंत्री गंभीर रोग उपचार योजना का प्रचार तो जोरों पर किया गया है, हो सकता है चुनाव के दौरान भी इसे बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाए, लेकिन अगर मरीजों को ही इसका फायदा नहीं मिलेगा तो ऐसी योजना का क्या फायदा.