झारखण्ड में स्वास्थ्य सेवा की हालत दयनीय है. अस्पतालों में डाक्टरों और दवाइयों की भारी कमी है. करीब हर दिन राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था मज़ाक बनता है, बीते दिनों गुमला से एक ऐसी ही घटना सामने आई है. गुमला सदर वक्त पर इलाज ना मिलने से अस्पताल में एक नाबालिग बच्चे की मौत हो गयी है. यही नहीं अस्पताल में मौत होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने पीड़ित परिवार का कोई सहयोग नहीं किया, एम्बुलेंस के अभाव पिता को मृत बच्चे का शव अपने कंधों पर ढोकर घर ले जाना पड़ा.
जिला अस्पताल के अधिकारी एम्बुलेंस खरीदारी में पीछे नहीं हैं. आरोप तो ये है की जहां कमीशन का मामला हो वहां सारी फाइलें रातोंरात तैयार होती हैं. पिछले कई सालो से एम्बुलेंस की खरीदारी के मामले में ऐसा ही हुआ है. दर्जनों एम्बुलेंस की खरीदारी तो हुई लेकिन अब वहा कहां और किस हालत में हैं इसकी किसी को परवाह नहीं हैं.
दर्जनों एम्बुलेंस खुले में खड़ी हैं
रांची के सिमलिया इलाके में दर्जनों एम्बुलेंस खुले में छोड़ दिए गए हैं. दरअसल सूबे की रघुवर सरकार पूरे राज्य के लोगों को हाईटेक एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करना चाहती है. पहले चरण में 329 एम्बुलेंस को हाइटेक बनाये जाने का प्लान था. यहां तक की एडवांस केयर लाइफ सपोर्ट लगाने के भी दावे किये गए. इसके लिए सरकार ने 4.5 करोड़ रुपए का आवंटन भी किया है और 50 लाख एम्बुलेंस के रखरखाव का खर्च भी दिया गया और फिर आनन-फानन में सरकार की ओर से 51 और एंबुलेंस की खरीदारी कर ली गई है. इन सभी को मकुम स्थित आईपीएच परिसर में खुले में रखा गया है. सभी एम्बुलेंस विंगर टाटा की हैं लेकिन ये सभी एम्बुलेंस ऐसे ही खड़ी हुई हैं.
पिता के कंधों पर बेटे का शव
गुमला जिला के बसिया प्रखण्ड के ममरला गांव के आठ वर्षीय सुमन सिंह को तेज बुख़ार था जिसे उसके पिता ने इलाज के लिए बसिया रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया. लेकिन उसे वहां से सिसई रेफर कर दिया गया. सिसई पहुंचने के बाद भी इस बच्चे का समुचित इलाज नहीं किया गया बल्कि बच्चे को गुमला सदर अस्पताल भेज दिया गया. गुमला सदर अस्पताल में पहुंचने के बाद उस बच्चे का यहां भी ठीक ढंग से इलाज नहीं किया गया और न ही उसे अस्पताल से दवा मुहैया कराई गई. इसके कारण आठ वर्षीय मासूम बच्चे सुमन सिंह का मौत हो गई. स्वास्थ्य मंत्री इस पूरे मामले पर कार्रवाई किये जाने की बात तो करते हैं लेकिन आये दिन एम्बुलेंस के अभाव में परिजन खुद लाश ढोने को मजबूर हैं. साथ ही सैकड़ों एम्बुलेंस महीनों से सरकारी उदासीनता के कारण खड़ी-खड़ी जंग खा रही हैं.
स्वास्थ्य विभाग में पहले भी घोटाले
राज्य में अभी करीबन 250 सरकारी एम्बुलेंस हैं. यह पीएमसीएच धनबाद, एमजीएम जमशेदपुर समेत जिला अस्पतालों और कम्युनिटी सेंटरों में चल रही हैं. वहीं, रिम्स के पास तीन हाईटेक एंबुलेंस भी हैं. लेकिन हकीकत यह है कि कई एम्बुलेंस या तो ख़राब हैं या फिर ड्राइवर की कमी के कारण अस्पताल के बाहर शोभा पा रही हैं. मरीज और उनके परिजन खुद ही शव धोने को मज़बूर हैं. झारखण्ड वैसे मधु कोड़ा की सरकार में स्वास्थ्य विभाग में तमाम घोटाले सामने आये थे जिस वजह से सीबीआई ने मामला दर्ज कर मंत्री समेत विभाग के सचिव को जेल भी भेजा था.