झारखंड के देवघर में सिंचाई के साथ डीआरडीओ (DRDO) को पानी उपलब्ध कराने के लिए त्रिकुट जलाशय योजना स्वीकृत की गई. 2015 में इस योजना का शिलान्यास किया गया था लेकिन तब से वन विभाग और सिंचाई विभाग के बीच यह योजना अधर में लटकी हुई है. योजना से DRDO की पानी की जरूरत को देखते हुए अब जिला प्रशासन ने दोनों विभाग को समन्वय बनाकर योजना को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश जारी किया है.
दरअसल, देवघर के त्रिकुटी पर्वत स्थित झरना से निकलने वाले पानी को रोककर त्रिकुट के समीप एक बड़े जलाशय (Large reservoir) के निर्माण का निर्णय लिया गया. इस जलाशय से सिंचाई के साथ DRDO के पानी की जरूरत को पूरा करने का फैसला किया गया. योजना का शिलान्यास 2015 में ही हुआ लेकिन तब से यह अधर में लटकी हुई है.
जानकारी के मुताबिक, इस योजना के लिए लगभग 58 एकड़ वन भूमि का अधिग्रहण होना है. वन विभाग के अनुसार, उनकी तरफ से फॉरेस्ट क्लीयरेंस की प्रक्रिया पूरी कर जल संसाधन विभाग को भेजा जा चुका है, लेकिन जल संसाधन विभाग ने इस पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की है. DRDO के दबाव के बाद अब जल संसाधन विभाग की नींद खुली है.
क्षेत्रीय वन पदाधिकारी प्रेमजीत आनंद का कहना है कि मानें तो योजना का DPR (डीपीआर ) बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. सब कुछ ठीक रहा तो एक से डेढ़ साल में योजना पूरी हो जाएगी.
उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री का कहना है कि दोनों विभागों के टालमटोल के बीच DRDO की तरफ से लगातार पत्राचार कर उनकी पानी की जरूरत जल्द से जल्द पूरी करने का आग्रह किया जा रहा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए अब जिला प्रशासन ने दोनों विभागों को समन्वय बनाकर योजना को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश जारी किया है. उपायुक्त द्वारा जल संसाधन विभाग से योजना की अपडेट रिपोर्ट तलब की गई है.
इस सिंचाई परियोजना का मकसद आसपास के तकरीबन 280 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के साथ प्राथमिकता के आधार पर DRDO को उनकी जरूरत भर पानी उपलब्ध कराना भी है. जिला प्रशासन की गंभीरता के बाद अब योजना के काम में तेजी आने की उम्मीद की जा रही है.
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