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धनबाद: CSIR में करोड़ों की वित्तीय अनियमितता, कई अधिकारियों पर मानदेय के लाखों रुपये लेने के आरोप

झारखंड के धनबाद स्थित CSIR में करोड़ों के वित्तीय हेराफेरी का मामला सामने आया है. यहां के वेतनभोगी अधिकारियों ने स्वयं प्रोजेक्ट कंसल्टेंसी और टेस्टिंग के नाम पर करोड़ों रुपयों का भुगतान लिया है.

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DG की चिट्ठी से मची है खलबली.
DG की चिट्ठी से मची है खलबली.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • CSIR में सामने आई वित्तीय अनियमितता
  • DG ने पैसे लौटाने के दिए निर्देश
  • कई अधिकारियों ने लिया था लाखों रुपये

झारखंड के धनबाद स्थिति केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान(CSIR) में करोडों रुपये की वित्तीय गड़बड़ी का मामला सामने आया है. यहां के वेतनभोगी अधिकारियों ने सेल्फ प्रोजेक्ट कंसल्टेंसी और टेस्टिंग के नाम पर मानदेय के रुप में करोड़ों रूपयों का भुगतान ले लिया. इस पूरे मामले पर संज्ञान लेते हुए CSIR के डीजी के डीजी ने पत्र लिखकर रुपये वापस करने की बात कही है. पत्र मिलने  से संस्था के निदेशक और वैज्ञानिकों में हड़कंप  गया है.

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केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान यानी सिंफर में करोड़ो रूपये के राशि के गबन आरोप बेहद गंभीर है. कंसल्टेंसिंग और रिसर्च और टेस्टिंग के नाम पर पिछले चार वर्षों में 2.16 करोड़ रूपये भुगतान बीते वित्तीय वर्ष में सीएसआईआर के निदेशक के नाम पर हुआ. मानदेय के नाम पर गबन का मामला सामने आने के बाद वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद यानी सीएसआइआर के प्रौद्योगिकी प्रबंधन निदेशालय, सामाजिक आर्थिक मंत्रालय इंटरफेस ने अब मानदेय की राशि वापस मांगी है.

यह सारा भुगतान सिंफर निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह के नाम पर हुआ है. यह मामला सीएसआइआर प्रयोगशालाओं की ओर से उनके उनके द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं, तकनीकी सेवाओं, परामर्श आदि के लिए अर्जित धन के वितरण से संबंधित है.

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सीएसआइआर के मुताबिक अलग-अलग अनुसंधान परियोजनाओं, कंसल्टेंसी और टेस्टिंग कार्य के लिए मानदेय के रूप में सिंफर निदेशक डॉक्टर प्रदीप कुमार सिंह ने वर्ष 2016 से लेकर 2021 तक में कुल 17.89 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. हाल के दिनों में यानी जनवरी के बाद से 2.16 करोड़ का इनके तरफ से भुगतान किया गया. 

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ऐसे संज्ञान में आया मामला

दरअसल संबंधित विभागीय मंत्रालय से धनबाद के रमेश कुमार राही ने शिकायत की थी कि जब वैज्ञानिक अपने कार्यों के लिए सरकार से वेतन और अन्य सुविधाएं मिलती हैं तो उन्हें किसी कार्य के लिए मानदेय कैसे भुगतान किया जा सकता है. यह पूरी तरह से वित्तीय गड़बड़ी का मामला है. मंत्रालय से आदेश मिलते ही सीएसआइआर डीजी ने राशि भुगतान पर पहले रोक लगा दी. उसके बाद इस पूरे प्रकरण की जांच करने के बाद राशि वापस करने का आदेश दिया है. गौरतलब है कि CSIR संबंधित एजेंसियों से प्रोजेक्ट टेस्टिंग और कंसल्टेंसी के एवज में निर्धारित राशि लेती है. इसी कार्य के लिए प्रोजेक्ट में लगे वैज्ञानिकों एवं अन्य कर्मचारियों को मानदेय का भुगतान किया जाता है.

शिकायतकर्ता का नाम रमेश राही है, जो स्थानीय बीजेपी नेता भी हैं. उन्होंने कहा कहा कि केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान यानी सिंफर धनबाद के निर्देशक ने करोडों रुपये की वित्तीय राशि की गड़बड़ी की. इसकी शिकायत करने के बाद सीएसआइआर के प्रौद्योगिकी प्रबंधन निदेशालय, सामाजिक आर्थिक मंत्रालय द्वारा पत्र जारी कर मानदेय की जो भी राशि दी गई है, उसे वापस किया जाय. क्योंकि सरकारी कर्मचारियो के द्वारा मानदेय की राशि कैसे ले सकते हैं कहां का न्याय हैं. सिम्फर के निर्देशक पीके सिंह ने टाल मटोल कर जबाब देते हुए कहा कि हमारे यहां जो भी टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक सर्विसेस देते हैं उनके लिए मानदेय दी जाती हैं.

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