झारखंड के लोहरदगा में आजसू पार्टी के केन्द्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की संदिग्ध हालात में मौत हो गई. 17 दिसंबर को उनका शव उनके बेडरूम में मिला. वे किराए के घर में रहते थे. उनकी पत्नी भी कमरे में बेहोश हालात में मिलीं. उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है.
कमल किशोर भगत बीमारियों से जूझ रहे थे और पिछले कुछ महीनों से उनका इलाज चल रहा था. हाल ही में दिल्ली से इलाज कराकर लौटे थे. फिर भी जिन परिस्थितियों में उनकी मौत हुई है, उसे कई लोग संदेहास्पद मान रहे हैं. आजसू पार्टी ने इसे साजिश और हत्या का मामला बताते हुए प्रशासन से गहन जांच की मांग की है. केन्द्रीय सचिव सूरज अग्रवाल और लाल गुडडू नाथ शहदेव ने मौत को संदिग्ध बताया.
कमल किशोर भगत 16 दिसंबर की शाम अपनी पत्नी, आजसू के जिला सचिव विलियम कुजूर व बॉडीगार्ड के साथ हरमू स्थित किराए के आवास लौटे थे. रात में पति-पत्नी एक साथ बेडरूम में सोए थे. कमल किशोर के साथ रहने वाली उनकी भतीजी ममता कुमारी ने बताया कि वह हर दिन सुबह उठ जाते थे. लेकिन आज जब 11:00 बजे तक नहीं उठे, दरवाजा खटखटाया गया. अंदर से कोई जवाब नहीं आया तब दरवाजा तोड़ कर देखा गया. उनकी पत्नी अचेतन अवस्था में पड़ी थी, जबकि कमल किशोर भगत की सांसें नहीं चल रही थी.
आनन-फानन में नीरू शांति भगत को सदर अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डाक्टरों ने प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें रेफर कर दिया. पूर्व विधायक की मौत की खबर सुनकर जिले में शोक की लहर दौड़ गई. पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सह पूर्व विधायक सुखदेव भगत, सहित कई पार्टियों के नेता और आम लोग उनके आवास पहुंचे. पुलिस ने पूर्व विधायक के शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है और मामले की जांच में जुट गई है.
झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में निभाई थी सक्रिय भूमिका
कमल किशोर भगत झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और कई बार जेल भी गए. भगत साल 2009 से 2015 तक आजसू पार्टी के टिकट पर लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक भी बने. रांची के जाने-माने न्यूरो सर्जन के के सिन्हा को धमकाने और उनके घर पर हमला करने के मामले में कोर्ट द्वारा पांच साल की सजा सुनाने के बाद उनकी विधायकी चली गई थी. लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए थे, मगर एक ही साल बाद उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था और जेल भेज दिए गए थे.