झारखंड के सिमडेगा जिले की 11 साल की बच्ची की भूख से मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. दरअसल राज्य के ही खाद्य आपूर्ति मंत्री ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि परिवारवालों को कई महीने से राशन नहीं मिल रहा था.
उन्होंने अपने ही सरकार को घेरते हुए कहा कि राज्य के मुख्य सचिव ने जिला आपूर्ति पदाधिकारी को निर्देश दिया था कि जिनके पास आधार कार्ड नहीं है, उनके राशन कार्ड रद्द कर दिए जाएं.
ऐसे में बीते सात महीने से इस इलाके के 11 परिवारों को राशन नहीं मिल रहा है. हालांकि सरकार ने मामले में जांच कराई है. जिसमें डॉक्टर से लेकर स्थानीय लोग और परिवार के सदस्यों के बयान दर्ज किए गए हैं. वही जिले के डीसी ने अपनी जांच रिपोर्ट में बच्ची की मौत की वजह बीमारी बताई है. ऐसे में खाद्य सुरक्षा मंत्री का बयान विभाग के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है. गौरतलब है कि सिमडेगा जिले के सुदूरवर्ती जलडेगा गांव की 11 वर्षीय संतोषी कुमारी की मौत भूख से बीते 28 सितंबर की रात हो गई थी. इस बीच केंद्रीय खाद्य मंत्री रामबिलास पासवान ने भी भूख से हुई मौत पर जांच के आदेश दिए हैं.
मामले में सीबीआई जांच की मांग
भूख से हुई मौत के मामले में राजनीति बढ़ती जा रही है. नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने रघुवर सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि रघुवर दास सरकार नहीं सर्कस चला रहे हैं. सूबे का प्रशासनिक तंत्र ध्वस्त हो चुका है. एक तरफ अनाज गोदामों में सड़ रहा है, दूसरी तरफ लोग भूख से मर रहे हैं. उन्होंने मुख्य सचिव पर भी अनियमितता के गंभीर आरोप लगाए हैं. सोरेन ने पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है. वहीं इस मुद्दे पर जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने भी सरकार पर गरीबों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि रघुवर दास विदेश घूम रहे हैं, जबकि सूबे में भूख से मौत हो रही है. दूसरी तरफ इस मामले को लेकर कांग्रेस भी सरकार पर हमलावर है.
क्या है मामला ?
सिमडेगा के जलडेगा प्रखंड के कारिमाटी गांव में बीते दिनों हुई 11 साल की बच्ची की मौत का रहस्य दिनों दिन गहराता जा रहा है. प्रशासन जहां इसे बीमारी की वजह से हुई मौत बता रहा है, वहीं परिजन इसे भूख से हुई मौत बता रहे हैं. संतोषी एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थी और गरीबी के कारण उसे पढ़ाई छोड़कर बकरी चराने पर विवश होना पड़ा था. बकरी चराने के एवज में उसे एक शाम का खाना मिल जाता था लेकिन बीमार होने के कारण वह बकरी चराने नहीं जा पा रही थी जिसके वजह से उसे एक शाम का भी खाना नसीब नहीं हुआ. बताया जाता है कि उसके परिवार को पिछले 7 महीनों से राशन का अनाज नहीं मिला था. राशन डीलर की लापरवाही से उसका राशन कार्ड गुम हो गया था और उसका दूसरा राशन कार्ड नहीं बन पाया था.