झारखंड विधानसभा चुनाव फतह कर हेमंत सोरेन कांग्रेस और आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं. महाराष्ट्र की तर्ज पर झारखंड में भी तीन दल मिलकर सरकार गठन कर रहे हैं, ऐसे में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनने वाली जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन सरकार कॉमन मिनिमम प्रोग्राम खाका खींच रही है, जिसके तहत पांच साल का रोडमैप बनाएगी.
झारखंड सरकार को चलाने के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार किया जाएगा, जिसमें तीनों पार्टियों के घोषणा पत्र के किए गए वादों को तवज्जो दी जाएगी. कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते इस सरकार से चाहेगी कि उसके विजन को राष्ट्रीय परिपेक्ष्य को भी समाहित किया जाए. वहीं, आरजेडी बिहार को ध्यान में रखकर अपने वादों को शामिल करना चाहती है तो जेएमएम आदिवासियों को ध्यान में रखकर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम ब्लूप्रिंट की रूपरेखा बना रही है.
कांग्रेस-जेएमएम और आरजेडी की अपनी-अपनी प्राथमिकताएं हैं. छत्तीसगढ़ की तर्ज पर धान के लिए न्यूनतम सपोर्ट प्राइस 2500 रुपये प्रति क्विंटल करना, किसानों की दो लाख रुपये तक की कर्ज माफी, इसमें पिछड़े वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए सीएनटी -एसपीटी एक्ट में कोई भी बदलाव ना करने का जिक्र हो सकता है. यही नहीं नई सरकार की कोशिश होगी कि सुशासन का संदेश देने के लिए वह पहले 2 महीने के लिए अपने लक्ष्य तय करके उस पर अमल करे.
झारखंड में गठबंधन का चेहरा जेएमएम प्रमुख हेमंत सोरेन ने दिल्ली में बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात किया है. कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दूबे ने बताया कि हेमंत सोरेन दिल्ली गए हुए हैं और वहां कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर चर्चा होगी, क्योंकि तीनों दलों के अपने-अपने कुछ वादे हैं जिन्हें एक जगह समाहित कर एक साझा कार्यक्रम तय होगा.
हालांकि झारखंड में जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन तीनों दलों ने अलग-अलग अपने चुनावी घोषणा पत्र जारी किया किया. इसमें किसानों की कर्जमाफी से लेकर ओबीसी को आरक्षण देने और आदिवासी को लेकर काफी वादे किए गए थे. अब तीनों दल जब मिलकर सरकार बनाने जा रही है तो हेमंत सोरेन ने झारखंड के विकास के लिए रोडमैप भी तैयार कर सकते हैं.