कहावत है कि हौसला अगर बुलंद हो तो हर सफलता को हासिल किया जा सकता है. यही कर दिखाया कान्हाचट्टी प्रखंड के लारालुटुदाग गांव के उपेंद्र कुमार ने. उपेंद्र कुमार बचपन से ही पैर और हाथ से विकलांग हैं और उन्होंने इंटर तक की पढ़ाई की है. उपेंद्र आगे भी पढ़ाई कर रहे हैं और अपने पिता तालू यादव के एकलौता बेटे हैं.
उपेंद्र दिव्यांग हैं, इसलिए उन्हें सरकारी सुविधा के नाम पर सिर्फ पेंशन मिल रही है. उनकी घर की हालत भी ठीक नहीं है. इसलिए उन्होंने गांव के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया, लेकिन उपेंद्र मुफ्त में ही शिक्षा दे रहे हैं. वो कक्षा एक से लेकर आठ तक के बच्चों को पढ़ा रहे हैं.
उपेंद्र बताते हैं कि जब वो छोटे थे तो उनके सहपाठी उनका मजाक उड़ाते थे. उन्होंने उसी वक्त कुछ करने का मन बनाया. लगातार पढ़ाई कर आगे बढ़े. ऊंटा के सत्यानंद भोगता इंटर कॉलेज से इंटर तक की पढ़ाई की. उसके बाद गांव के गरीब और असहाय बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए ट्यूशन पढ़ाने लगे. लॉकडाउन के दौरान अलग-अलग ग्रुप बनाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं.
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वो बताते हैं कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. तीन पाहिया वाहन के लिए कई बार कल्याण विभाग में आवेदन दिया है, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन और समाजसेवी से लकर सांसद, विधायक तक के पास उन्होंने तीन पहिया वाहन देने की मांग की, पर किसी ने उन पर तरस नहीं दिखाया.
उन्होंने बताया कि उन्होंने नक्सल प्रभावित इलाकों के गरीब मजबूर बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का प्रण लिया है. इस समय उपेंद्र के पास पढ़ने के लिए करीब 60 बच्चे आते हैं.