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जिस रिसॉर्ट में ठहरे सोरेन के MLA, वहां शराब की बोतलों से भरी मिली सरकारी गाड़ी, BJP ने भूपेश बघेल को घेरा

झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए अपनी कुर्सी बचाना चुनौती साबित हो रहा है. सत्ता बचाने का संघर्ष तो चल ही रहा है, विधायकों में टूट ना पड़ जाए, इसका भी ध्यान रखना है. इसी वजह से यूपीए के विधायक इस समय रायपुर के रिजॉट में रुके हुए हैं. बीजेपी का आरोप है कि वहां पर विधायकों के लिए शराब का इंतजाम किया जा रहा है.

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सोरेन सरकार पर संकट
सोरेन सरकार पर संकट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हेमंत सोरेन के लिए कुर्सी बचाना चुनौती
  • राज्यपाल के फैसले से बदलेगा गेम

झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार खतरे में चल रही है. पिछले कई दिनों से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी कुर्सी बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं. राज्यपाल से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है, ऐसे में सरकार पर आशंका के बादल मंडरा रहे हैं. अभी तक साफ नहीं हो पा रहा है कि हेमंत की सीएम कुर्सी जाने वाली है या बच जाएगी? इसी असमंजस की वजह से विधायकों के टूटने का खतरा भी बढ़ गया है. अब महाराष्ट्र जैसा खेल ना हो जाए, विधायक बगावती तेवर ना दिखा जाएं, ऐसे में हेमंत सोरेन ने यूपीए के सभी विधायकों को एयरलिफ्ट कर रायपुर भिजवा दिया है.

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संकट में सरकार, विधायक कर रहे शराब पार्टी?

शाम के समय सभी विधायक बस से रांची एयरपोर्ट के लिए निकले और फिर इंडिगो के विमान से कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ पहुंच गए. अब सभी विधायक कितने दिन तक वहां रहने वाले हैं, अभी स्पष्ट नहीं, लेकिन बेहतरीन होटल में उनकी हर सुख सुविधा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. इसी कड़ी में सोरेन सरकार के विधायकों पर आरोप लगा है कि होटल में उनके लिए शराब का इंतजाम किया गया है. दावा ये हुआ है कि छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग की एक गाड़ी शराब की पेटियों को लेकर मेफेयर रिसॉर्ट पहुंची है. गाड़ी के जरिए वहां रुके विधायकों के लिए ये महंगी शराब लाई गई है. अभी तक किसी भी विधायक ने दावों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सरकार और विधायकों को आड़े हाथ लेने का काम किया है.

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बीजेपी ने बनाया मुद्दा, सरकार ने साधी चुप्पी

रमन सिंह ने ट्वीट कर लिखा कि भूपेश जी कान खोलकर सुन लीजिए, छत्तीसगढ़ अय्याशी का अड्डा नहीं है, जो छत्तीसगढ़ियों के पैसे से झारखंड के विधायकों को दारू-मुर्गा खिला रहे हैं. असम, हरियाणा के बाद अब झारखंड के विधायको का डेरा, इन अनैतिक कार्यों के लिए छत्तीसगढ़ महतारी आपको कभी माफ नहीं करेगी. वहीं बाबूलाल मरांडी ने तो बकायदा एक वीडियो जारी कर कहा है कि सरकारी गाड़ी में झारखंडी मेहमानों के लिये शराब की ढ़ुलाई. वैसे याद दिला दें झारखंड में भी शराब परोसने,पीने-पीलाने और उससे पैदा होने वाले “धन” के “लेन-देन” का पूरा नेटवर्क छत्तीसगढ़ का ही है.

रिजॉट पॉलिटिक्स का पुराना खेल

अब ये कोई पहली बार नहीं है जब किसी राज्य में सरकार बचाने के लिए रिजॉट पॉलिटिक्स का सहारा लिया गया हो. बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक, शिवसेना से लेकर अब JMM तक, समय-समय पर अपने विधायकों को बचाने के लिए सभी ने इस रिजॉट पॉलिटिक्स का सहारा लिया है. कोशिश तो ये होती है कि ऐसा कर सभी विधायकों को एकजुट रखा जाए, लेकिन जो तस्वीरें सामने आती हैं, वो अलग ही कहानी बयां करती हैं. जब एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत कर गए थे, तब सभी विधायकों को लेकर असम चले गए थे. वहां से भी कई तस्वीरें सामने आई थीं जहां पर विधायक पार्टी कर रहे थे, स्विमिंग का लुत्फ उठा रहे थे. एक समय राजस्थान की राजनीति में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था.

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बीजेपी की साजिश या सोरेन सही में दोषी?

अब झारखंड में फिर वहीं कहानी खुद को दोहरा रही है. हेमंत सोरेन को अपनी सीएम कुर्सी बचानी है, राज्यपाल की तरफ से कोई आदेश नहीं आया है, इसलिए विधायकों को एकजुट करने पर ही जोर दिया जा रहा है. तर्क ये दिया गया है कि झारखंड में  बीजेपी सरकार गिराने की कोशिश कर रही है. दूसरे राज्यों की तरह यहां भी जांच एजेंसियों का इस्तेमाल सरकार को अस्थिर करने का काम हो रहा है. इस बारे में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने जोर देकर कहा है कि बीजेपी काला अध्याय लिखने का काम कर रही है. लेकिन झारखंड सरकार के सभी विधायक एकजुट हैं, मजबूती से खड़े हैं. मीडिया के सामने तो सीएम हेमंत सोरेन भी कह रहे हैं कि चिंता की कोई बात नहीं है.

राज्यपाल के पाले में गेंद, नहीं दिया कोई फैसला

'चिंता की कोई बात नहीं है' वाला नेरेटिव जारी रखने के लिए 1 सितंबर को हेमंत सोरेन ने अपनी कैबिनेट की एक अहम बैठक भी बुलाई है. कहा जा रहा है कि उस बैठक में वे राज्य के हित के लिए कई बड़े फैसले ले सकते हैं. इसी वजह से वे विधायकों के साथ रायपुर नहीं गए हैं. लेकिन इस समय क्योंकि चुनाव आयोग ने सीएम के खिलाफ अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी है, हेमंत सोरेन का कुर्सी पर बने रहना काफी मुश्किल है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि चुनाव आयोग ने तो अपनी जांच में हेमंत सोरेन को दोषी मान लिया है, राज्यपाल को उसकी रिपोर्ट भी भेज दी है. लेकिन राजभवन से अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया गया. अब जब तक राजभवन से कोई फैसला नहीं आ जाता, हेमंत सोरेन अगले कदम पर विचार नहीं कर सकते.

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बवाल मचा क्यों है, सोरेन ने क्या गलत किया?

अब जिस मामले की वजह से हेमंत सोरेन अपनी कुर्सी गंवाने की नौबत तक आ गए हैं, वो समझना भी जरूरी हो जाता है. असल में इस साल 10 फरवरी को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने राज्यपाल से मुलाकात की थी. उस मुलाकात के दौरान बीजेपी की डेलिगेशन ने हेमंत सोरेन की सदस्यदा रद्द करने की मांग उठा दी थी. आरोप लगाया गया था कि सीएम रहते हुए सोरेन ने 88 डिसमिल पत्थर माइनिंग लीज पर लिया. बीजेपी ने इसे लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RP) 1951 की धारा 9A का उल्लंघन माना और सीएम की इस्तीफे की मांग कर दी. अब बीजेपी की शिकायत पर ही राज्यपाल ने ये केस चुनाव आयोग को भेज दिया. चुनाव आयोग ने इस मामले की विस्तृत जांच की जिसमें हेमंत सोरेन को अयोग्य ठहरा दिया गया. 


 

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