झारखंड में हेमंत सोरेन की अगुवाई में सरकार बने अभी सवा दो साल ही गुजरे हैं कि बगावती सुर उठने लगे हैं. एक तरफ सहयोगी दलों के बीच असंतोष बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के दो विधायक बागी रुख अपना रहे हैं. सीता सोरेन और लोबिन हेम्ब्रम खुलकर हेमंत सरकार के खिलाफ उतर चुके हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश और कर्नाटक की तरह ही झारखंड में सियासी कहानी दोहराए जाने की पठकथा लिखी जाने की शुरूआत तो नहीं है?
सीता सोरेन ने सरकार पर उठाए सवाल
जामा विधानसभा से जेएमएम की विधायक सीता सोरेन ने 'जंगल, जल, जमीन' संरक्षण के मुद्दे पर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. चतरा जिले के टंडवा स्थित आम्रपाली परियोजना में बरती जा रही अनियमितता को लेकर सीता सोरेन ने सूबे के राज्यपाल रमेश बैस से लेकर राष्ट्रपति तक को ज्ञापन भेजा हैं. इतना ही नहीं बुधवार अपने पति दुर्गा सोरेन के नाम से एक संगठन खड़ा कर रही हैं, जिसके लिए राज्य स्तरीय सम्मेलन बुलाया है. यही नहीं सीता सोरेन पहले भी कह चुकी हैं कि शिबू सोरेन और दुर्गा सोरेन के खून-पसीने से खड़ी की गई पार्टी वर्तमान में दलालों और बेईमानों के हाथ में चली गई है.
जेएमएम विधायक हेम्ब्रम बागी रुख अपना रखा
विधानसभा सत्र के दौरान सदन में नहीं बोलने देने का आरोप लगाने का बाद अब लोबिन हेम्ब्रम ने हेमंत सरकार के खिलाफ ही जनसभा करने का फैसला किया. लोबिन हेम्ब्रम झारखंड में स्थानीय नीति, खतियान आधारित नियोजन नीति, सीएनटी एक्ट, पेसा कानून की मांग उठा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि जेएमएम जिन मुद्दों पर सरकार में आई है, वो लागू नहीं कर पा रही है. उन्होंने कहा था कि जमीन बचाने की बात पार्टी करती है लेकिन काम के वक्त चुप रहते हैं. लूट की बात सदन से लेकर सीएम के सामने तक रखा लेकिन एक भी सही जवाब नहीं मिला.
बागी विधायक क्या बीजेपी के संपर्क में हैं?
वहीं, जेएमएम के छह विधायकों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास ये शिकायत लेकर गए थे कि सीता सोरेन सरकार गिराने की साजिश कर रही हैं. साथ ही उनके इस सियासी मुहिम में बोरियो विधानसभा से विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी उनका साथ दे रहे हैं. बता दें कि विधायक सीता सोरेन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी हैं, जो उनके बड़े भाई दिंवगत दुर्गा सोरेन की पत्नी है. इस तरह हेमंत सोरेन के खिलाफ घर से ही सियासी चुनौती मिलने लगी है, जिसे सियासी वर्चस्व के जंग के तौर पर देखा जा रहा.
राष्ट्रपति भवन ने सीता सोरेन की शिकायत पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. वहीं, जेएमएम विधायक स्टीफन मरांडी ने शनिवार को रांची में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि लोबिन हेम्ब्रम और सीता सोरेन पार्टी लाइन से बाहर जाकर पार्टी के खिलाफ काम कर रहे हैं. लोबिन हेम्ब्रम अलग से मीटिंग कर रहे हैं, पार्टी का झंडा और शिबू सोरेन का फोटो लगाकर पार्टी विरोधी काम कर रहे हैं.
जेएमएम से कांग्रेस भी नाखुश दिख रही
जेएमएम एक तरफ अपनी पार्टी में चुनौती मिल रही तो कांग्रेस को लगता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उसे दरकिनार कर दिया है. झारखंड में जारी सियासी घमासान के बीच प्रदेश अध्यक्ष, सरकार के चारों मंत्रियों समेत कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को कांग्रेस हाईकमान ने दिल्ली तलब किया था. झारखंड कांग्रेस के प्रमुख राजेश ठाकुर ने आजतक को बताया था कि कांग्रेस झारखंड प्रभारी अविनाश पांडे मुख्यमंत्री द्वारा एक समन्वय समिति बनाने और एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम निर्धारित करने के लिए कांग्रेस की याचिका का जवाब नहीं देने से नाराज हैं.
कांग्रेस के भीतर भीअसंतोष पनप रहा है
झारखंड कांग्रेस में भी असंतोष की बातें सामने आ रही हैं. कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने मंत्री बन्ना गुप्ता पर जाहिर तौर से सवाल खड़े किए हैं. अंसारी ने बीजेपी के साथ बन्ना गुप्ता की कथित बढ़ती नजदीकियों पर सवाल उठाया है. इसकी वजह यह थी कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की पोती के जन्मदिन के मौके पर उनके घर गए और गलबहियां करते हुए फोटो भी खिंचवाई थी, जिसे लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. ऐसे में बन्ना ने सफाई देते हुए कहा था कि मेरे लिए मां भारती सबसे पहले है. फिर मेरी पार्टी है, इसके बाद ही मेरे लिए कुछ और है.
हेमंत सोरेन भी जता चुके है चिंता
हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान सीएम हेमंत सोरेन ने सीधे-सीधे बीजेपी पर आरोप लगया था कि वह उनकी सरकार को गिराने की साजिश रच रही है. इससे पहले हेमंत सरकार गिराने के आरोप में रांची में एक फल विक्रेता सहित दो अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 90 दिन बाद भी उन पर चार्जशीट दाखिल न होने के कारण उन्हें बेल मिल गई. ऐसे में अब फिर से घर से लेकर सहयोगी तक से आवाज उठ रहे हैं.
हालांकि, झारखंड में विधायकों के आंकड़े को देखें तो हेमंत सरकार को फिलहाल किसी तरह का कोई सियासी संकट नहीं है, लेकिन अगर इस तरह से जेएमएम और कांग्रेस के विधायक बागवती तेवर अपनाए रखा और अन्य कुछ विधायक इसी राह पर कदम बढ़ाते हैं तो हेमंत सोरेन के लिए चिंता बढ़ सकती है.