पिछले महीने राज्यसभा की दो सीटों के लिए झारखंड में हुए चुनाव में से एक सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी धीरज साहू की जीत का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. यह केस चुनाव में हार का सामना करने वाले बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप सोंथालिया ने दायर की है.
हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए धीरज साहू को इस मामले में नोटिस भी जारी कर दिया है. हालांकि सुनवाई के दौरान प्रतिवादी धीरज साहू के अधिवक्ता कोर्ट में मौजूद नहीं थे.
क्या है मामला ?
धीरज साहू के निर्वाचन को चुनौती देने वाली इस याचिका में कहा गया है कि 23 मार्च को झारखंड में दो राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग हुई थी. कांग्रेस और झामुमो के गठबंधन के कारण झामुमो के अमित महतो ने धीरज साहू को वोट दिया था. इसी दिन निचली अदालत ने एक मामले में अमित महतो को दो साल की सजा सुना दी और कानून के अनुसार दो साल या उससे अधिक की सजा मिलने पर तत्काल प्रभाव से ही जनप्रतिनिधि की सदस्यता अयोग्य मानी जाती है, ऐसे में अमित महतो का वोट भी अयोग्य करार दिया जाए और दोबारा राज्यसभा चुनाव का परिणाम घोषित किया जाए.
सबसे छोटी जीत का रिकॉर्ड
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी धीरज साहू ने भाजपा प्रत्याशी प्रदीप सोंथालिया को 0.01 वोट के मार्जिन से हराया था. इस चुनाव में धीरज साहू को कुल 26 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के प्रदीप सोनथालिया को द्वितीय वरीयता के वोटों के आधार पर 25.99 वोट मिले.
हार-जीत का यह अंतर अब तक के राज्यसभा चुनाव इतिहास में सबसे काम मार्जिन से दर्ज की गई जीत है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के मुताबिक राज्यसभा चुनाव की मतगणना हो जाने तथा सारी चीजें सील हो जाने के बाद अमित महतो का वोट रद करना विधि सम्मत नहीं है.
उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव में तत्कालीन विधायक के रूप में अमित महतो द्वारा डाले गए वोट को रद करने की मांग बीजेपी ने भारतीय चुनाव आयोग से भी की है. इस पर आयोग को निर्णय लेना है.
पहले भी दागदार रहे राज्यसभा चुनाव
झारखंड में राज्यसभा चुनाव पहले भी दागदार रह चुका है. 2012 में तो राज्यसभा चुनाव का परिणाम तक रद हो चुका है. उस समय एक प्रत्याशी के करीबी के पास भारी नकदी मिलने की बात सामने आई थी.
वहीं चुनाव से जुड़े एक दूसरे मामले में सीबीआई जांच भी चल रही है जिसमें डेढ़ दर्जन से ज्यादा पूर्व विधायकों पर आरोप लगे हैं. क्रास वोटिंग के आरोप जून 2016 में हुए चुनाव में भी लगे थे.