झारखण्ड में दागी विधायकों पर चल रहे मामलों की जांच में सुस्ती को लेकर झारखण्ड हाईकोर्ट ने पुलिस की जमकर आलोचना की है. विधायकों पर चल रहे मामलों की प्रगति रिपोर्ट दस दिन के भीतर दाखिल करने का निर्देश राज्य के डीजीपी डी के पांडेय को दिया है. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि डीजीपी एक मई तक शपथ पत्र के माध्यम से रिपोर्ट दें. ऐसा नहीं होने की दशा में डीजीपी खुद कोर्ट में आकर सवालों का सामना करें. गौरतलब है कि झारखंड के 81 में से 55 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
मुख्यमंत्री के नाम पर भी दर्ज है मामला
जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने इनसे जुड़े मामलों में दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पूछा कि दर्ज मामलों में से कितने केस की जांच हो चुकी है और कितनों में ट्रायल चल रहा है. कोर्ट ने इस बात की जानकारी भी मांगी कि कितनें मामलों में ट्रायल खत्म हो गए और अब तक किन-किन मामलों में चार्जशीट दायर कर दी गई है.
गौरतलब है कि जनहित याचिका वर्ष 2015 में दायर की गयी थी. इसमें कहा गया है कि 55 विधायकों में से तीन पर धारा 302, सात पर धारा 307 और तीन पर महिलाओं से अभद्र व्यवहार करने जैसे गंभीर आरोप है. लेकिन इन मामलों की जांच में पुलिस सुस्ती बरत रही है. आरोपियों में मुख्यमंत्री और मंत्रियों से लेकर सभी पार्टियों के विधायक शामिल है.
इन विधायकों पर दर्ज है मामले
इन दागी विधायकों मे से बीजेपी के सबसे अधिक 37 विधायकों पर मामले दर्ज हैं. वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी जेएमएम के 19, जेवीएम के 8, कांग्रेस के 6, सरकार की सहयोगी आजसू के 5 विधायकों पर मामले दर्ज है. आजसू के कमल किशोर भगत को विधानसभा की सदस्यता सजा होने की वजह से छोड़नी पड़ी थी. कमल किशोर भगत इनदिनों जेल में हैं. जबकि डॉ अनिल मुर्मू रघुनंदन मंडल और विदेश सिंह की मृत्यु हो चुकी है.