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झारखंड के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, स्टाफ नर्स और पैरामेडिक्स की भारी किल्लत, CAG रिपोर्ट में खुलासा

रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2022 तक झारखंड में कुल 3,634 स्वीकृत पदों में से 2,210 मेडिकल ऑफिसर और विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद खाली थे. यानी कुल स्वीकृत पदों के मुकाबले करीब 61 प्रतिशत पद खाली थे. इसी तरह स्टाफ नर्स के 5872 स्वीकृत पदों में से 3033 पद खाली थे, जबकि पैरामेडिकल स्टाफ के 1080 स्वीकृत पदों में से 864 पद रिक्त पाए गए.

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झारखंड में डॉक्टर्स की भारी किल्लत का खुलासा हुआ है
झारखंड में डॉक्टर्स की भारी किल्लत का खुलासा हुआ है

झारखंड में पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थ सर्विस के मैनेजमेंट पर की गई परफॉर्मेंस ऑडिट में राज्य के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों, स्टाफ नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी उजागर हुई है. गुरुवार को विधानसभा में पेश की गई कैग (CAG) की ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. 

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रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2022 तक झारखंड में कुल 3,634 स्वीकृत पदों में से 2,210 मेडिकल ऑफिसर और विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद खाली थे. यानी कुल स्वीकृत पदों के मुकाबले करीब 61 प्रतिशत पद खाली थे. इसी तरह स्टाफ नर्स के 5872 स्वीकृत पदों में से 3033 पद खाली थे, जबकि पैरामेडिकल स्टाफ के 1080 स्वीकृत पदों में से 864 पद रिक्त पाए गए. ये परफॉर्मेंस ऑडिट मार्च 2022 से सितंबर 2022 के बीच किया गया था और इसमें 2016-17 से 2021-22 की अवधि को कवर किया गया.

इस ऑडिट में झारखंड के कुल 24 जिलों में से 6 जिलों- धनबाद, दुमका, गुमला, गढ़वा, सरायकेला-खरसावां और सिमडेगा को विस्तृत जांच के लिए चुना गया. चुने गए जिलों में 6 मेडिकल कॉलेजों में से 2, 2 आयुष संस्थान, 23 जिला अस्पतालों में से 5, 188 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 14, 330 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 13, 1755 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स में से 25, 11 निजी अस्पताल और 6 जिला संयुक्त आयुष डिस्पेंसरियों को जांच के दायरे में लिया गया.

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ऑडिट में पाया गया कि जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों, विशेषज्ञों, स्टाफ नर्स और पैरामेडिक्स की भारी कमी है, जो 7 प्रतिशत से लेकर 65 प्रतिशत तक थी. इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों में शिक्षण और गैर-शिक्षण स्टाफ की भी भारी कमी पाई गई. 6 मेडिकल कॉलेजों में स्वीकृत 641 पदों में से 286 पद (45 प्रतिशत) जुलाई 2022 तक खाली थे.

रिपोर्ट में राज्य सरकार को सलाह दी गई है कि सभी स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों, विशेषज्ञों, स्टाफ नर्स और पैरामेडिक्स की कमी दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) की वर्किंग ग्रुप की सभी सिफारिशों को लागू किया जाए, ताकि शिक्षकों की कमी भी कम की जा सके.

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