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झारखंड में नहीं थम रहा भाषा विवाद, अब सोरेन बोले- बाहरियों को नौकरी मिली

बवाल इस बात पर भी रहा कि JSSC द्वारा आयोजित परीक्षा में PT को हटा दिया गया है. क्वालीफाइंग के लिए जिन रीजनल भाषा को मान्यता दी गई है उसमें न तो भोजपुरी न ही मगही, न ही मैथली और न ही अंगिका को शामिल किया गया है.

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सीएम हेमंत सोरेन
सीएम हेमंत सोरेन
स्टोरी हाइलाइट्स
  • झारखंड में भाषा को लेकर फिर विवाद
  • सोरेन बोले- बाहरियों को नौकरी मिली

झारखंड में सीएम हेमंत सोरेन के भाषा वाले बयान पर बवाल खत्म भी नहीं हुआ कि अब एक दूसरी मुसीबत आ खड़ी हुई है. राज्य के मुख्यमंत्री ने एक बार फिर एक कार्यक्रम में स्थानीय कार्ड खेल दिया है. उन्होंने आरोप लगा दिया कि यहां पहले की सरकार ने नियुक्ति नियमावली ऐसी बनाई थी कि स्थानीय से ज़्यादा बाहरियों को नौकरी मिली.

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झारखंड में भाषा को लेकर फिर विवाद

बवाल इस बात पर भी रहा कि JSSC द्वारा आयोजित परीक्षा में PT को हटा दिया गया है. क्वालीफाइंग के लिए जिन रीजनल भाषा को मान्यता दी गई है उसमें न तो भोजपुरी न ही मगही, न ही मैथली और न ही अंगिका को शामिल किया गया है. हैरानी की बात ये है कि हिंदी और संस्कृत को भी हटा दिया गया जबकि उर्दू को रखा गया है. 

इस मुद्दे पर पूर्व सीएम रघुवर दास ने हेमंत सरकार के स्टैंड और आरोपों को सिरे से खारिज किया है .उनका कहना है कि 1 लाख से ज़्यादा नौकरी उनके कार्यकाल में दी गई थी. 90 % उनमें से यहां के मूलवासी थे .साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि जब यहां के ज़्यादातर आदिवासी भी हिंदी में ही पढ़ रहे हैं और रीजनल लैंग्वेज स्कूलों में पढ़ाया नही जाता तो आखिर वो भी कैसे क्वालीफाई कर नौकरी पाएंगे.

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पूर्व सीएम ने लगाए आरोप

रघुवर ने तंज कसते हुए कहा कि हेमंत सोरेन भी हिंदी और इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई कर चुके हैं. सरकार तमाम विवाद युवाओं को गुमराह करने के लिए पैदा कर रही है. नियुक्ति देने के बजाय सरकार विवाद खड़े करके अपने दामन को बचाना चाहती है. वैसे इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हेमंत सोरेन के भाषा वाले बयान पर आपत्ति जाहिर की थी. उन्होंने बोला था कि राजनीतिक फायदे के लिए मगही, भोजपुरी या किसी दूसरी भाषा का इस्तेमाल करना ठीक नहीं है.

लेकिन नीतीश के बयान पर हेमंत सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी. राज्य सरकार में वित्त मंत्री ने ये सवाल किया कि क्या बिहार में सेकंड लैंग्वेज का दर्जा oran और संथाली को दिया जाएगा. ऐसे में अभी झारखंड में भाषा विवाद बढ़ता जा रहा है और दोनों तरफ से लगातार आरोप लग रहे हैं.

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