झारखंड भू-राजस्व विभाग एक ऐसा कानून लाने की तैयारी में है जिसके लागू होने के बाद जमीन संबंधी मामले में अब किसी भी पदाधिकारी या कर्मचारी पर कानूनी कार्रवाई नहीं होगी.
बताया जा रहा है कि इस कानून में ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिसके तहत विभाग के अधिकारियों और कर्मियों पर चल रहे पुराने मामले भी खुद-ब-खुद खत्म हो जाएंगे. इस प्रस्तावित कानून का मसौदा तैयार कर लिया गया है. इसे बहुत जल्द ही राज्य कैबिनेट में भेजा जाएगा. जहां से स्वीकृति मिलने के बाद इसे विधानसभा में रखा जाएग. विधानसभा से पास होते ही यह अधिसूचना कानून बन जाएगा.
क्या है नया कानून
राज्य सरकार का मानना है कि इस कानून के बनने से जमीन संबंधी मामलों का निपटारा जल्द होगा. साथ ही विभाग से जुड़े कर्मी और अधिकारी बिना किसी भय और विभागीय कार्रवाई न होने की गारंटी से सही तरीके से काम कर सकेंगे. सरकार का यह भी मानना है कि जमीन संबंधी मामलों में कार्रवाई के डर से इस विभाग में काम लंबे समय तक अटके रहते हैं.
जमीन लूट की खुली छूटः विपक्ष
इस कानून के चर्चा में आने के साथ ही इसके दुरुपयोग की चर्चा भी शुरू हो गई है. लगभग सभी विपक्षी पार्टियां इस कानून को जमीन लूट का जरिया बता रही हैं. उनका कहना है कि राज्य में बीजेपी सरकार के आने के बाद से ही सरकार जमीन लूटने के काम कर रही है. चाहे वह लैंड बैंक का मामला हो, सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन करने की कोशिश हो या मोमेंटम झारखंड के जरिये छोटी-छोटी कंपनियों को जमीन देने का मामला हो.
झारखंड विकास मोर्चा के प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने गुरुवार को कहा कि कानून में प्रावधान है कि जमीन संबंधी सरकार के कर्मचारी कोई गड़बड़ी करेंगे तो उस पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी. इससे साफ है कि सरकार की मंशा क्या है?