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झारखंड के मंत्री को सता रहा है जेल जाने का डर !

गौरतलब है कि मंत्री ने लीज नवीकरण के विरोध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया, वहीं जब कैबिनेट मीटिंग के दौरान उन्हें इस मुद्दे पर बोलने से रोका गया तो उन्होंने खफा होकर कहा कि मुझे जेल नहीं जाना है और मीटिंग बीच में छोड़कर बाहर चले आये.

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झारखंड के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सरयू राय
झारखंड के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सरयू राय

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अपने बेबाक बयानों के कारण अकसर विवादों को न्योता देनेवाले झारखंड के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सरयू राय को जेल जाने का डर सता रहा है. बताया जाता है कि ये बातें उन्होंने कैबिनेट मीटिंग के दौरान कही. दरअसल इस बैठक में 105 खदानों के लीज नवीकरण के मामलें में उन्हें बोलने नहीं दिया गया.

ऐसे में खफा मंत्री ने अपनी सरकार को ही कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कैबिनेट के भीतर और बाहर सहकर्मियों से विमर्श का अभाव सरकार के संचालन के लिए स्वस्थ लक्षण नहीं है. गौरतलब है कि मंत्री ने लीज नवीकरण के विरोध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया, वहीं जब कैबिनेट मीटिंग के दौरान उन्हें इस मुद्दे पर बोलने से रोका गया तो उन्होंने खफा होकर कहा कि मुझे जेल नहीं जाना है और मीटिंग बीच में छोड़कर बाहर चले आये.

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क्या है मामला !
दरअसल साल 2015 के शुरू में मुख्यमंत्री ने कहा था कि राज्य सरकार सभी लौह-अयस्क के खनन पट्टों का लीज नवीकरण और अवधि विस्तार करेगी, जिसके बाद सरकार ने विकास आयुक्त की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति बनाई. समिति की अनुशंसा पर सरकार ने बीते साल 21 खनन पट्टों को रद्द कर दिया. इसकी वजह सभी पट्टाधारियों के द्वारा खनन के दौरान बरती गयी अनियमितता थी.

इस कार्यवाही के बाद सरकार ने सभी खनन पट्टों को अपने कब्जे में ले लिया, बकौल मंत्री उन्होंने उस समय भी सुझाव दिया था कि पट्टों के रद्द करने के बाद खदानों का वैज्ञानिक ढंग से क्षेत्र निर्धारण किया जाए. सरकार के इस फैसले के विरोध में तीन पट्टाधारी हाईकोर्ट भी गए. सरकार के वकील द्वारा उपयुक्त दलील नहीं देने के कारण न्यायालय ने स्टे दे दिया.

जिसके बाद हाईकोर्ट ने अगस्त में निर्णय भी दे दिया कि ये सभी आवेदक दो माह के भीतर सुनिश्चित करें कि कंपनियों ने अपनी अनियमितता या किए गए उल्लंघन दुरुस्त कर ली है. फिर सरकार इसे स्पष्ट करें, अन्यथा इनका खनन रोक दिया जाए, सरकार द्वारा खनन पट्टा अस्वीकृत करने का निर्णय भी न्यायालय ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि इसमें विहित प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ. बावजूद इसके अवधि विस्तार के खान विभाग के फैसले पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी थी.

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सरयू राय के मुताबिक इस फैसले से सरकार की छवि धूमिल हुई है. इस विषय को कैबिनेट के सामने लाने का कोई औचित्य ही नहीं था. नियमों के मुताबिक यह खान विभाग का मामला है, विभाग अपनी जिम्मेदारी कैबिनेट पर डाले यह सही नहीं है.

गौरतलब है कि MC रूल के मुताबिक जो खनन पट्टे दो साल से अधिक अवधी से बंद पड़े है उन्हें पुनः अवधि विस्तार नहीं दिया जा सकता है. मंत्री का आरोप है कि कैबिनेट ने बिना यह जानने कि कोशिश के कि ये पट्टे कहां है या हाईकोर्ट के निर्देश के आलोक में इनकी समीक्षा किये बिना ही सभी 105 पट्टो को अवधि विस्तार दे दिया गया.

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