झारखंड के सिमडेगा जिले में कथित तौर पर भूख के चलते 11 साल की बच्ची की मौत हो गई. घटना के बाद से ही राज्य की रघुवर दास सरकार की कड़ी आलोचना की जा रही है. परिवार के अनुसार, क्योंकि उनका राशन कार्ड गुम हो गया था इसी वजह से उन्हें खाना नहीं मिल पाया और बच्ची की मौत हो गई.
Jharkhand: Went to get rice but I was told that no ration will be given to me. My daughter died saying 'Bhat-bhat'-Koyli Devi, girl's mother pic.twitter.com/aRCIwcoSfL
— ANI (@ANI) October 17, 2017
लेकिन अब इस मामले में सरकार के ही मंत्री ने अधिकारियों पर ठीकरा फोड़ दिया है. मंत्री सरयू राय ने कहा कि बीते दिनों मुख्य सचिव राजबाला बर्मा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उन लोगों के राशन कार्ड रद्द करने का निर्देश दिया था जिनके पास आधार कार्ड नहीं था. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सरयू राय ने कहा कि मैंने अपने अधिकारियों से अपील की थी कि आधार लिंक ना होने की वजह से किसी का राशन कार्ड रद्द ना किया जाए.
DC की जांच पूरी, बीमारी से मौत
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बच्चे की भूख से हुई मौत के मामले में सिमडेगा के DC मंजूनाथ भजंत्री को मामले की जांच करने को कहा था. DC ने बच्चे की भूख से मौत पर कहा कि मैं खुद कालीमाटी गांव गया था वहां मृतक बच्ची की मां कोईरी देवी से मुलाकात नहीं हुई लेकिन बच्ची को बड़ी मां डेहरी नायक ने बताया कि संतोषी सिर और बदन दर्द की बात कह रही थी.
आरएमपी डॉक्टर नारायण सिंह ने जांच कर उसे मलेरिया पीड़ित बताया था. चाची सुमति देवी ने भी कहा था कि संतोषी को 15 दिनों से बुखार था. डीसी ने कहा कि बातचीत से यह निष्कर्ष सामने आया है कि बच्ची की मौत भूख से नहीं बल्कि बीमारी से हुई थी.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी नहीं माना
मंत्री ने कहा कि मुख्य सचिव का निर्देश सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अवमानना है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये कहा था की आधार नहीं होने से सरकार किसी को राशन का लाभ से वंचित नहीं कर सकती. साथ ही उन्होंने कहा कि विभागीय मंत्री होने के बाद भी मेरे बात नहीं सुनी जाती है.
सिमडेगा के सुदूरवर्ती प्रखंड जलडेगा में गरीबी से त्रस्त 11 साल की संतोषी की पिछले दिनों मौत हो गयी थी. संतोषी एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थी तथा गरीबी के कारण उसे पढ़ाई छोड़ बकरी चराने पर विवश होना पड़ा था. बकरी चराने के एवज में उसे एक शाम का खाना मिल जाता था लेकिन बीमार होने के कारण वह बकरी चराने नहीं जा पा रही थी जिसके वजह से उसे एक शाम का भी खाना नसीब नहीं हुआ.
बताया जाता है कि उसके परिवार को पिछले 7 महीनों से राशन का अनाज नहीं मिला था. राशन डीलर की लापरवाही से उसका राशन कार्ड गुम हो गया था और उसका दूसरा राशन कार्ड नहीं बन पाया था.