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शर्मनाक! पुलिस से नहीं हुई एंबुलेंस की व्यवस्था, पोस्टमार्टम के लिए ऑटो से लाए मासूम का शव

जब एंबुलेंस का इंतजाम नहीं हुआ, तब मृतक बच्चे के परिजनों ने शव को ऑटो में ही ले जाने का फैसला लिया. वे पूरे 35 किलोमीटर तक ऑटो से शव के साथ सफर करते रहे और तब जाकर पोस्टमार्टम सेंटर तक पहुंचे.

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ऑटो से गया पोस्टमार्टम के लिए नाबालिग का शव
ऑटो से गया पोस्टमार्टम के लिए नाबालिग का शव
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ऑटो से गया पोस्टमार्टम के लिए शव
  • पुलिस महकमे पर उठे गंभीर सवाल

झारखंड से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जहां पर एक मासूम बच्चे की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई और बाद में उसके शव को एक एंबुलेंस भी नसीब नहीं हुई. अड़की थाना क्षेत्र की बताई जा रही इस घटना में एक बच्चे को अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी. उस बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई, वहीं पिता जख्मी हो गए. हैरानी की बात ये रही कि पुलिस मौके पर पहुंची जरूर, लेकिन पोस्टमार्टम सेंटर पहुंचनाने के लिए एंबुलेंस का इंतजाम नहीं कर पाए.

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एंबुलेंस नहीं मिली तो ऑटो से शव को ले गए

जब एंबुलेंस का इंतजाम नहीं हुआ, तब मृतक बच्चे के परिजनों ने शव को ऑटो में ही ले जाने का फैसला लिया. वे पूरे 35 किलोमीटर तक ऑटो से शव के साथ सफर करते रहे और तब जाकर पोस्टमार्टम सेंटर तक पहुंचे. इस घटना ने पुलिस प्रशासन पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. जो पुलिस गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने का दम भरती है, असल परिस्थिति में उनका सिर्फ अमानवीय चेहरा ही देखने को मिलता है. ये एक ऐसा चेहरा है जिस वजह से पुलिस को तो क्या ही फर्क पड़ेगा,लेकिन पीड़ित और उसके परिवार को काफी धक्के खाने पड़ते हैं.

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पुलिस का अमानवीय चेहरा

इस घटना में भी ऐसा ही देखने को मिला है. मृतक बच्चे के मौसा ने बताया है कि शव को लाने के लिए पुलिस ने ना वाहन दिया और ना ही एंबुलेंस की व्यवस्था की. ऐसे में उन्हें घटनास्थल से 35 किलोमीटर दूर सदर अस्पताल खूंटी एक ऑटो से आना पड़ा. इस मामले पर अभी तक पुलिस की तरफ से कोई सफाई पेश नहीं की गई है लेकिन उनके रवैये को लेकर काफी कुछ पता चल गया है. वैसे भी ये पहली बार नहीं है जब ऐसी कोई घटना देखने को मिली हो. सिर्फ राज्य बदलते हैं, चेहरे दूसरे होते हैं, लेकिन इंसानियत को शर्मसार करने का काम जारी रहता है.

यहां भी ऐसा ही देखने को मिला जब एक शव को ऑटो से पोस्टमार्टम के लिए लाना पड़ा. अब पोस्टमार्टम सेंटर पर लाने के बाद भी मुश्किले कम नहीं हुईं, बल्कि मासूम के शव को गोद में उठा ही पोस्टमार्टम सेंटर पहुंचाना पड़ा. वहां भी किसी स्ट्रेचर का इंतजाम होता नहीं दिखा.

(खूंटी से अरविंद सिंह के इनपुट के साथ)
 

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