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कोरोना महामारी ने ऐसा कोहराम मचाया है कि अब अपने भी दूर होने लगे हैं. कोरोना ने ऐसे दिन दिखा दिए हैं जहां पर मुश्किल समय में अब कोई किसी की मदद नहीं करता, बल्कि सिर्फ दूर रहने की ही कोशिश रहती है. लेकिन इन दूरियों के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो धर्म के तमाम बंधनों को तोड़ सिर्फ इंसानियत में विश्वास दिखा रहे हैं. पलामू में सांप्रदायिक सौहाद्र और भाईचारे की मिसाल देखने को मिली है. यहां कुछ मुस्लिम युवकों ने कोविड से मौत होने के बाद एक महिला का हिन्दू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया.
महामारी का अब सामाजिक दुष्प्रभाव दिख रहा है. समाज से मानवता खत्म हो रही है. हालत यह है कि कोरोना से मौत होने के बाद उनके अपने अंतिम संस्कार से बच रहे हैं. कुछ ऐसा ही मामला यहां देखा गया है. पलामू मुख्यालय मेदिनीनगर में कोविड 19 से एक महिला की मौत के बाद अंतिम संस्कार में कोई नही पंहुचा, तब कुछ अल्पसंख्यक युवकों ने अंतिम संस्कार में मदद की. मृतक का सिर्फ एक बेटा ही अंतिम संस्कार में पंहुचा था. मदद करने वाले सभी अल्पसंख्यक पवित्र रमजान के महीने में रोजे में थे.
इंसानियत को सबसे बड़ा धर्म माना
अब क्योंकि कोरोना काल में दूसरे रिश्तेदारों ने आने से मना कर दिया है, ऐसे में बेटे के लिए अकेले ही अपनी मां का अंतिम संस्कार करना मुश्किल हो रहा था. ऐसे वक्त में मोसैफ, सुहैल, आसिफ राइन, शमशाद उर्फ मुन्नान और जाफर महबूब ने साहस का परिचय देते हुए ना सिर्फ अपने उस हिंदू दोस्त की मदद की बल्कि रीति-रिवाज का पालन करते हुए अंतिम संस्कार भी करवाया.
पुलिस के ASI ने किया युवक का अंतिम संस्कार
युवकों ने खुद ही मृत महिला का शव एम्बुलेंस से उतारकर 200 मीटर दूर चिता तक पंहुचाया. उन युवकों के मुताबिक वे अपने दोस्त को तकलीफ में नहीं देख सकते थे, ऐसे में उन्होंने अपनी तरफ से ये मदद का हाथ बढ़ाया. वैसे ऐसी ही एक घटना देश की राजधानी दिल्ली में भी देखने को मिल गई जहां पर पुलिस के ASI ने एक 35 वर्षीय युवक का अंतिम संस्कार करवाया था. उस युवक की मौत भी कोरोना की वजह से ही हुई और परिवार ने भी अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था.
धार्मिक स्थल बने कोविड सेंटर
कोरोना महामारी ने एक बार के लिए रिश्तों में दूरी जरूर ला दी है, लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने इंसानियत को सबसे बड़ा धर्म माना है, जिन्होंने सभी की सेवा करने की ठानी है. पलामू की ये घटना भी सांप्रदायिक सौहाद्र और भाईचारे का एक खूबसूरत उदाहरण है. देश के दूसरे हिस्सों से भी ऐसी खबरें देखने-सुनने को मिल रही हैं.
कई ऐसे धार्मिक स्थल भी हैं जो अब कोविड सेंटर बन दर-दर भटक रहे मरीजों की मदद कर रहे हैं. कई ऐसे गुरुद्वारे देखने को मिल गए हैं जहां पर क्वारंटीन में बैठे लोगों तक खाना पहुंचाया जा रहा है. हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं जिसके जरिए घर तक जरूरतमंद को दवाई पहुंचाई जा रही है.