झारखंड के पलामू जिले में एक गांव ऐसा है जहां लोगों की जिंदगी ज्यादा लंबी नहीं होती. हालात इतने खराब हैं कि सरकार ने भी यहां के लोगों को गांव छोड़ने की सलाह दी, लेकिन उनका कहना है कि हम सभी लोग विकलांग हो गए हैं और ऐसे में कहीं और ठीकाना कैसे बना पाएंगे.
पलामू के चुकरू गांव के स्थानीय लोगों का दावा है कि पीने के पानी में फ्लोराइड की मौजूदगी से गांव के लोगों में शारीरिक अक्षमता लगातार बढ़ती जा रही है. स्थानीय ग्रामीण राजेश्वर पाल का कहना है कि दूषित पानी हमारी हड्डियों और दांतों को नुकसान पहुंचाता है. कई युवा अपनी जान गंवा चुके हैं.
चलने के लिए लकड़ी का सहाराJharkhand:Locals of Chukru village in Palamu dist claim that presence of fluoride in drinking water is causing physical disabilities among people of the village. Rajeshwar Pal,a villager says,"the contaminated water damages our bones&teeth.Many young people have lost their lives" pic.twitter.com/AHEPuqBheW
— ANI (@ANI) November 27, 2019
राजेश्वर पाल ने कहा, 'हम पिछले 25 साल से इस समस्या का सामना कर रहे हैं. इस गांव में कोई भी 50 साल से ज्यादा की उम्र का नहीं है. मैं 69 साल का हूं और मैं इस गांव का सबसे बूढ़ा इंसान हूं.' उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने हमें जगह छोड़ देने की सलाह दी है लेकिन हम सभी लोग विकलांग हो गए हैं, ऐसे में हम कहीं और कहां रह सकेंगे.
फ्लोराइड से पीड़ित इस गांव में बड़ी संख्या में लोग विकलांग हो गए हैं. बच्चे हों या फिर जवान-बुजुर्ग सभी हड्डी की समस्या से ग्रस्त हैं. लोगों को चलने के लिए लकड़ी का सहारा लेना पड़ता है और उनके पैर की हड्डियां टेढ़ी-मेढ़ी हो गई हैं.
कितना खतरनाक होता है फ्लोराइड
फ्लोराइड जल प्रदूषण का अहम कारक है. फ्लोराइड युक्त जल लगातार पीने से फ्लोरोसिस नाम की बीमारी होती है. इससे हड्डियां टेढ़ी, कमजोर और खोखली होने लगती हैं. फ्लोराइड धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डियों में जमा होने लगता है जिससे हमारी सामान्य दैनिक क्रियाएं भी प्रभावित होने लगती है.
देश के कई हिस्सों के भूजल में फ्लोराइड पाया जाता है. दांतों पर पड़ी हल्की गहरी आड़ी धारियां और धब्बे फ्लोराइड की मुख्य पहचान हैं.