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Petrol Pump Strike: झारखंड में कल बंद रहेंगे पेट्रोल पंप, गाड़ी में आज ही भरवा लें तेल

Petrol diesel strike:पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर वैट कम नहीं करने का फैसला पेट्रोल व्यवसायियों को महंगा पड़ रहा है. झारखंड में डीजल की कीमत पड़ोसी राज्यों से अधिक होने की वजह से वाहन मालिक अब दूसरे राज्यों से पेट्रोल भरवा रहे हैं. ऐसे में सीमावर्ती क्षेत्र के पेट्रोल पंप बंद होने के कगार पर है.

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Jharkhand petrol diesel strike
Jharkhand petrol diesel strike
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 21 दिसंबर को पूरे राज्य में पेट्रोल पंप बंद रहेंगे
  • सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक पेट्रोल पंप बंद रहेंगे

Jharkhand Petrol-Diesel Latest News: झारखंड में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से हर कोई परेशान है. कंज्यूमर और पेट्रोलियम डीलर लगातार राज्य सरकार से वैट घटाने की मांग कर रहे हैं. इसको लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और वित्त मंत्री से मुलाकात भी हुई थी, लेकिन कोई सकरात्मक नतीजा नहीं निकला. ऐसे में झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने 21 दिसंबर को हड़ताल करने की घोषणा की है. 

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पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर वैट कम नहीं करने का फैसला पेट्रोल व्यवसायियों को महंगा पड़ रहा है. झारखंड में डीजल की कीमत पड़ोसी राज्यों से अधिक होने की वजह से वाहन मालिक अब दूसरे राज्यों से पेट्रोल भरवा रहे हैं. ऐसे में सीमावर्ती क्षेत्र के पेट्रोल पंप बंद होने के कगार पर है. लगातार हो रहे नुकसान से परेशान पेट्रोल डीलर एसोसिएशन ने 21 दिसंबर को पूरे राज्य में पेट्रोल पंप बंद रखने का फैसला किया है.
 
एसोसिएशन के अध्य्क्ष अशोक सिंह ने कहा कि सरकार को समय दिया गया, लेकिन हमारी मांगों पर विचार नहीं हुआ. हमने सरकारी बकाया के भुगतान की भी मांग की थी, जिसपर वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया था. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. लिहाजा 21 की दिसंबर की बंदी के कारण जनता को जो परेशानी होगी. उसके लिए सरकार जिम्मेवार होगी.

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पेट्रोल पंप मालिकों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिट्ठी लिखकर वैट 5% कम करने की मांग की है. फैसले के तहत सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक पेट्रोल पंप पूरी तरह बंद रहेंगे. पेट्रोल-डीजल एसोसिएशन (Petrol-Diesel Association) का कहना है कि अगर 22% से 17% वैट कर दिया जाए तो हम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. संघ के मुताबिक झारखंड के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और उड़ीसा में डीजल की कीमत झारखंड से कम है. ऐसे में झारखंड से चलने वाले वाहन डीजल पड़ोसी राज्यों में भराना पसंद करते हैं. इस कारण उनलोगों  को नुकसान हो रहा है.

संघ का यह भी कहना है कि अगर 5% वेट कम कर दिया जाए तो सरकार को 1000 करोड़ रुपया का राजस्व तब भी मिलेगा. लेकिन सरकार इसकी ओर नहीं सोच रही है. संघ का कहना है कि झारखंड एक खनिज प्रधान राज्य है. यहां से खनिज निकटवर्ती राज्यों को जाता है. इसके अलावा बस परिचालन भी निकटवर्ती राज्यों में होता है. वाहन मालिक डीजल निकटवर्ती राज्य में ही भरा लेते हैं जिससे यहां के पेट्रोल पंपों को नुकसान हो रहा है.

उनका कहना है कि मोटे तौर पर देखा जाए तो इस तरह का आयात अपने प्रदेश में 30,000 किलोलीटर प्रति माह हो रहा है. जिससे मिलने वाले राजस्व का शुद्ध रूप से अपने प्रदेश को नुकसान उठाना पड़ रहा है. जब वैट की दर 18% थी तब वर्ष 2015-16 में झारखंड प्रदेश में प्रतिमाह डीजल की बिक्री 1 लाख 28 हजार  थी जो घटकर 1 लाख 16 हजार प्रतिमाह पर पहुंच चुकी है. जबकि पूरे देश में प्रति वर्ष 8% की दर से पेट्रोलियम पदार्थों का बिक्री में इजाफा हुआ है. इस कारण वेट का दर 5% घटाना सरकार के लिए भी फायदेमंद साबित होगा. 

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इस मुद्दे पर राज्य के वित्त मंत्री ने पहले ही कह दिया है कि राज्य के पास राजस्व का कोई दूसरा मजबूत साधन नहीं है. कोरोना के वक़्त काफी खर्च कल्याण और वेलफेयर पर हुआ है. इस राज्य की स्थिति बाकी राज्यों से अलग है. अगर वैट में कमी की जाती है तो इसका सीधा प्रभाव राज्य के राजस्व पे पड़ेगा. सरकार का कैलकुलेशन पेट्रोलियम डीलर से अलग है. सरकार को नुकसान लग रहा है.

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