झारखंड के पलामू जिले के बकोरिया इलाके में 8 जून 2015 को सतबरवा के पास हुए कथित नक्सली मुठभेड़ पर सूबे की राजनीती गर्म हो गई है. इस मुठभेड़ में पुलिस ने मुठभेड़ में 12 नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया था, जिसमे लातेहार में चर्चित मृत जवान के पेट में बम प्लांट करनेवाले नक्सली को मार गिराने की बात कही गयी थी.
अब विपक्ष ने इस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है. विपक्ष का मानना है कि वर्तमान में इस केस की जांच कर रही स्टेट CBCID के हाथों से यह केस लेकर इसकी न्यायायिक या सीबीआई जांच करवाई जाए.
NHRC ने भी मुठभेड़ पर उठाये है सवाल
मुठभेड़ की जांच के लिए पहुंची NHRC की टीम ने भी मुठभेड़ की सत्यता पर सवाल खड़े किये है. NHRC की टीम ने इसी साल फ़रवरी महीने में घटनास्थल का दौरा किया था और टीम ने एडीजे ए नटराजन, पलामू के तत्कालीन एसपी मयूर पटेल, सीआर पीएफ 134 बटालियन और 11वीं बटालियन के कमांडेंट, बकोरिया के स्थानीय चौकीदार से घटना की जानकारी ली थी. मानवाधिकार आयोग की एक टीम मुठभेड़ में मारे गए के परिजनों से भी पूछताछ के लिए चतरा भी गयी थी, जिसके बाद NHRC ने घटना को संदेहास्पद बताया था.
क्या है मामला !
पलामू में सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया गांव में 8 जून की देर रात करीब तीन घंटे तक मुठभेड़ चली थी जिसमें 12 माओवादी मारे गए थे. सीआरपीएफ और पुलिस के द्वारा चलाये गए सर्च ऑपरेशन में यह सफलता मिली. ये भी बताया गया था की इस मुठभेड़ की शुरुआत नक्सलियों की तरफ से हुई थी. जिसका जवाब पुलिस की ओर से दिया गया.
घटनास्थल से पुलिस ने एक क्षतिग्रस्त स्कॉर्पियो कार और 8 रायफल सहित 250 कारतूस बरामद किेए थे. मुठभेड़ में मारे गए दो नक्सलियों की पहचान भी की गई थी. पहले की पहचान उत्तम यादव के रूप में हुई, वहीं दूसरे की पहचान योगेश कुमार यादव के रूप में हुई.
पुलिस ने दावा किया था कि 2013 के कटिया गांव में शहीद के शरीर में बम प्लांट करने वाला नक्सली आरके प्रसाद भी इस मुठभेड़ में मारा गया, लेकिन विपक्ष के मुताबिक इनमे से सिर्फ एक व्यक्ति पर नक्सली होने का आरोप था, जबकि अन्य 11 निर्दोष थे.