जंगलों के बीच स्थित साहिबगंज जिला मुख्य रूप से जनजातीय आबादी वाला जिला है. संथाल परगना जिला से अलग 1983 में इसे जिला घोषित किया गया था. साहिबगंज का इतिहास बेहद समृद्ध है. यह राजमहल और तेलियागढ़ी किला के इतिहास से जुड़ा हुआ है. साहिबगंज में भी 1855 की हूल क्रांति हुई थी. जिसमें सिद्धो-कान्हू ने मिलकर अंग्रेजों का सामना किया था. इस इलाके का जिक्र चीनी तीर्थ यात्री ह्यूएन त्सांग की यात्रा वृतांत में भी आता है. जिसमें वह तेलियागढ़ी किले का जिक्र करता है. साहिबगंज के लोगों ने नमक सत्याग्रह आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया. आंदोलन की गति इतनी बढ़ गई कि ब्रिटिश सरकार को सेना तक भेजनी पड़ी.
साहिबगंज की राजनीतिः दो बार से भाजपा का है सीट पर कब्जा
साहिबगंज विधानसभा सीट से 2014 में भारतीय जनता पार्टी के अनंत कुमार ओझा विधायक बने. इससे पहले 2009 में यहां से भारतीय जनता पार्टी के ही अरुण मंडल विधायक थे. जबकि, 2005 में यहां कांग्रेस के थॉमस हांसदा ने विधायक की कुर्सी पर जीत हासिल की थी. बोरियो विधानसभा सीट से भाजपा के ताला मरांडी विधायक हैं. वे इससे पहले 2005 में भी विधायक थे. जबकि, 2009 में झामुमो के लोबिन हेम्ब्रम विधायक चुने गए थे.
साहिबगंज की आबादी 11.50 लाख, साक्षरता दर 52.04% है
2011 की जनगणना के अनुसार साहिबगंज की कुल आबादी 1,150,567 है. इनमें से 589,391 पुरुष और 561,176 महिलाएं हैं. जिले का औसत लिंगानुपात 952 है. साहिबगंज की कुल आबादी में से 13.9 फीसदी लोग शहरी और 86.1 प्रतिशत लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं. जिले की साक्षरता दर 52.04% है. पुरुषों में शिक्षा दर 48.75 फीसदी और महिलाओं में 34.92 प्रतिशत है.
साहिबगंज की जातिगत गणित
साहिबगंज जिले की कुल आबादी में से 490,202 लोग किसी न किसी तरह के रोजगार में जुड़े हैं. इनमें से 65.8 फीसदी या तो स्थाई रोजगार में हैं या साल में 6 महीने या उससे ज्यादा कमाई करते हैं.
साहिबगंज जिले के तालझारी प्रखंड में मोती झरना है. यहां की प्राकृतिक खूबसूरती आपको मंत्रमुग्ध कर देगी. राजमहल पहाड़ी जीवाश्मों के लिए जाना जाता है. यहां के जीवाश्म 68 से 145 मिलियन वर्ष पुराने हैं. इसके अलावा मंगलहाट है, जिसे सम्राट अकबर के शासनकाल में बनाया गया था. तेलियागड़ी का किला भी देखने लायक स्थान है.