इस बात का खुलासा उस वक़्त हुआ जब सभी जिलों के स्कूलों से 2016-17 में हुए नामांकन की रिपोर्ट मांगी गई. ताकि मिड
डे मील योजना का बजट बनाया जा सके. नामांकन रिपोर्ट से यह बात सामने आयी कि इस वित्तीय वर्ष में 40 हजार प्राइमरी
और मिडिल स्कूलों में लगभग 48 लाख बच्चों का नामांकन हुआ. जबकि इससे ठीक पहले साल 2015-16 में कुल 50 लाख
42 हजार 957 छात्र जिनमे प्राइमरी स्कूलों के 35,35,491 और मिडिल स्कूलों के 15,07,466 छात्र नामांकित थे. इस तरह इस
साल बच्चों की संख्या में लगभग ढाई लाख की कमी आ गई.
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अनुसार सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए कई छात्र एक से अधिक स्कूलों में नामांकन ले लेते थे. वही कुछ स्कूलों में फर्जी नामांकन भी दिखाया जाता था. ऐसे में सभी बच्चों को आधार से लिंक किए जाने से इस पर रोक लग गयी. विभाग के मुताबिक शत-प्रतिशत आधार सीडिंग होने से फर्जीवाड़े और डुप्लीकेसी में और भी कमी आएगी.
70 फीसदी बच्चों की हुई है अभी तक आधार सीडिंग
राज्य के चालीस हजार स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों में लगभग 90 फीसदी बच्चों का आधार कार्ड बन गया है. वहीं करीब 70
फीसद बच्चों की आधार सीडिंग का कार्य पूरा हो गया है. इसके साथ ही करीब 75 फीसद बच्चों का बैंक खाता भी खुल गया
है. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने तमाम योजनाओं को डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर यानि डीबीटी से जोड़ने का निर्णय लिया
है. इसके तहत सारी राशि बच्चों के बैंक खाते में सीधे जा रही है.
केंद्र ने भी की इसकी सराहना
केंद्र सरकार ने भी मिड डे मील योजना के प्रोग्राम एप्रूवल बोर्ड की बैठक में छात्रों के आधार से लिंक किए जाने की सराहना की
है. पिछली 10 मार्च को हुई इस बैठक में राज्य के स्कूलों में गठित बाल संसद और शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर
प्रोत्साहित करने के लिए गठित 'परिवर्तन दल' की भी सराहना की गई. केंद्र ने राज्य सरकार से 'परिवर्तन दल' का कान्सेप्ट
नोट मांगा है ताकि इसे दूसरे राज्यों में भी लागू करने का निर्देश दिया जा सके.