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झारखंड: स्कूलों में गैस-सिलेंडर से नहीं, लकड़ी से बन रहा है मिड डे मील

इस साल मई में कैबिनेट से योजना स्वीकृत होने के बावजूद स्कूलों को एलीपीजी सिलेंडर और चूल्हा नहीं मिल सका है. बताया जाता है कि नए ट्रेजरी कोड के तहत वित्त विभाग ने योजना की राशि ट्रेजरी के माध्यम से पीएल खाते में रखने का निर्देश दिया था.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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झारखंड सरकार के सभी प्राइमरी स्कूलों में मिड डे मील को गैस चूल्हे पर बनाने की योजना अब तक धरातल पर साकार नहीं हो पाई है. जिसकी वजह से झारखंड के 70 फीसदी से अधिक प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के बच्चे धुंआ झेलने को विवश हैं.

दरअसल, राज्य सरकार ने मिड डे मील के लिए स्कूलों को एलपीजी सिलेंडर और चूल्हा देने की योजना तो बनाई थी लेकिन वित्तीय नियम के पेंच में यह शुरू तक नहीं हो सकी.

झारखंड में छोटे बच्चों को धुंए से होने वाली परेशानी को देखते हुए राज्य सरकार ने 40 हजार से अधिक प्राइमरी स्कूलों में गैस चूल्हा और गैस सिलेंडर आवंटन की योजना बनाई थी. जिसमें 50 तक छात्र की संख्या वाले स्कूलों में 2 चूल्हे और 2 सिलेंडर, 51 से 200 छात्र संख्या वाले स्कूल में 2 चूल्हे और 3 सिलेंडर, 201 से 500 छात्र संख्या वाले स्कूल में 3 चूल्हे और 4 सिलेंडर और 500 से अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों में 4 चूल्हे और 5 पाच सिलेंडर देने की योजना थी. लेकिन पदाधिकारियों की सुस्ती और वित्तीय नियमों के पेंच के कारण अभी तक इसका अनुपालन नहीं हो सका.

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स्थिति यह है कि इस साल मई में कैबिनेट से योजना स्वीकृत होने के बावजूद स्कूलों को एलीपीजी सिलेंडर और चूल्हा नहीं मिल सका है. बताया जाता है कि नए ट्रेजरी कोड के तहत वित्त विभाग ने योजना की राशि ट्रेजरी के माध्यम से पीएल खाते में रखने का निर्देश दिया था. लेकिन इसमें यह समस्या आड़े आ गई कि खर्च का वाउचर देने पर ही राशि ट्रेजरी से जारी होगी. जबकि यह बिल्कुल नई योजना है  

अब नियम को शिथिल करने की हो रही है मांग

अब राज्य का शिक्षा विभाग सरकार से एक बार के लिए नियमों को शिथिल करने की मांग कर रहा है, जिससे इनका क्रय किया जा सके. इस योजना में लगभग 42 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. जिसमें गैस सिलेंडर, रेगुलेटर, पाइप एवं भट्ठी, चूल्हे शामिल हैं. इनका क्रय स्कूलों में गठित सरस्वती वाहिनी करेगी. इसके लिए राशि उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी.

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