झारखंड में मानसून से पहले की बारिश और वज्रपात ने राज्य के आपदा प्रबंधन की पोल खोल दी है. राज्य में बिजली गिरने से अब तक 13 लोगों की मौत हुई है, जबकि 28 झुलसे हैं.
सूचना के मुताबिक, चतरा में अब तक तीन लोगों की मौत हुई है, रांची में दो, रामगढ़ में दो, पलामू में दो, लातेहार में एक, हजारीबाग में एक, लोहरदगा में एक और बोकारो में भी एक की मौत हुई है. इसके अलावा अलग-अलग जगहों पर 28 लोग बुरी तरह झुलस गए हैं. मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले 3 दिनों तक राज्य के कई जिलों में दोपहर बाद गरज के साथ आंधी- बारिश की आशंका है.
राज्य में आपदा प्रबंधन की स्थिति खराब
झारखंड में आपदा प्रबंधन की स्थिति अच्छी नहीं है. प्राधिकरण नोटिफाइड जरूर है, लेकिन क्रियाशील नहीं है. सरकार बनने के बाद से अब तक तीन बैठकें हुई है. 2016 से अब तक कोई बैठक नहीं हुई. इस विभाग का बजट करीबन 714 करोड़ है, लेकिन राज्य में इस विभाग को गृह विभाग के साथ मर्ज कर दिया गया है. गृह विभाग के सचिव ही आपदा प्रबंधन के सचिव हैं. इस विभाग में अलग से सिर्फ एक स्पेशल सेक्रेटरी, 3 अंडर सेक्रेटरी और 5 असिस्टेंट हैं.
वज्रपात से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी- रघुवर दास
बिजली गिरने से 13 लोगों की मौत पर राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि 24 घंटे के अंदर पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाएगा. ऐसी घटनाओं से बचने के लिए जागरूकता जरूरी है. सभी को अलर्ट रहना चाहिए. इस मामले में झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा झारखंड में बिजली गिरने से जो मौत हुई उस पर सरकार गंभीर है और मुआवजे के तौर पर पीड़ित परिवार को 4 लाख रुपये तुरंत दिए जाएंगे.
नीलकंठ सिंह मुंडा के मुताबिक, सभी को इस मामले में सचेत रहने की जरूरत है. मौसम विभाग के जरिए विभाग को इसकी जानकारी थी. जिले के अधिकारियों को सूचित कर दिया गया था कि इस मामले में उचित कदम उठाएं. आपदा प्रबंधन के लिए जिलाधिकारी को पहले ही अलग से एक करोड़ रुपये दिए गए हैं, ताकि किसी तरह भी परिस्थिति के लिए तैयार रहा जाए.